Ghats of Banaras – बनारस के लोकप्रिय घाटों के बारे में समस्त जानकारी
Ghats of Banaras बहुत से लोग बनारस को घाटों का शहर भी कहते है बनारस उत्तर प्रदेश का एक शहर जो गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है गंगा नदी को हिन्दू लाइफ लाइन मानते है और गंगा जी को हिन्दू पूजते है इस शहर में छोटे बड़े कुल मिलाकर लगभग 88 या और भी ज्यादा घाट है और हर घाट का अपना एक अलग महत्त्व है |
इस पोस्ट में आपको बनारस के प्रसिद्ध घाट के नाम बतायेंगे और उनके बारे में भी बतायेंगे बनारस के बारे में जानने के लिये हमारी यह पोस्ट Banaras Me Ghumne ki Jagah – कैसे पहुंचे कहाँ रुके शापिंग की समस्त जानकारी पढ़े |
Ghats of Banaras – Varanasi Ganga Ghats – बनारस के गंगा घाट
दशाश्वमेध घाट , ललिता घाट , मानमन्दिर घाट , राजेन्द्रप्रसाद घाट, मणिकर्णिका घाट , सिंधिया घाट , अस्सी घाट , राजा घाट , हरिश्चंद घाट , ललिता घाट , तुलसी घाट , खिडकिया घाट , केदार घाट , विजयनगरम घाट, दरभंगा घाट , पांडे घाट , अहिल्याबाई घाट , नारद घाट , दिग्पतिया घाट , गंगा महल घाट , जैन घाट , पंचगंगा घाट आदि केशव घाट आदि बनारस के प्रमुख गंगा घाट है जहाँ आप जा सकते है |
Ghats of Banaras में और भी कई घाट है जैसे गाय घाट , त्रिपुरा भैरवी घाट , शिवाला घाट , राम घाट, गणेश घाट आदि |
अब आपको बताते है इस शहर के ज्यादातर गंगा घाट का उपयोग तो स्नान और पूजा पाठ में किया जाता है परन्तु बनारस में दो घाट ऐसे है जिनका उपयोग शमशान के रूप में किया जाता है अब आप कभी भी बनारस वाराणसी आये तो गंगा घाट के दर्शन तो अवश्य ही करने चाहिए |
इस शहर में तो घाटों में भी विभिन्नता है कई घाट तो बिलकुल ही एक दुसरे से भिन्न है तो ऐसा भी नहीं कि आप सिर्फ एक घाट गये वहां गंगा स्नान कर लिया हो गया नहीं साहब आपको बनारस के कई घाट देखने चाहिए तभी आप इस शहर को समझ पाओगे |
गंगा घाट क्या है
गंगा घाट क्या है यह एक बचकाना सा सवाल है लेकिन मैंने यहाँ इसे शामिल कर लिया है क्या पता किसी को इस प्रश्न के उत्तर को जानना हो तो गंगा एक नदी है यह आप जानते ही हो अब गंगा घाट क्या है यह समझने के पहले आपको घाट के बारे में थोडा आईडिया देता हु देखिये घाट का मतलब होता है एक ऐसा रास्ता जिससे हम आसानी से नदी तक जा सकते है अब गंगा घाट मतलब ऐसा आसन रास्ता जिससे हम गंगा नदी तक आसानी से पहुँच सके |
बनारस में अधिकतर गंगा घाट पर सीढियां बनी हुई जहाँ से उतरकर आप माँ गंगा के समीप आ सकते है और अपना स्नान पूजा पाठ को कर सकते है घाट पर स्नान करना सुरक्षित भी रहता है |
वाराणसी में कुल कितने घाट है How many ghat in Varanasi
How many ghat in Varanasi इस प्रश्न का जवाब देना कठिन है मैंने इन्टरनेट पर खोजा तो किसी ने बताया की वाराणसी में कुल 88 घाट है कही यह संख्या 85 लिखी देखी कही पर 84 घाट बताये गये है तो किसी ने बताया की यहाँ लगभग 100 घाट है अब बनारस को घाटो का शहर तो कहते ही है इसलिये यहाँ पर घाटो की संख्या ज्यादा तो होगी लेकिन हम कोई एक निश्चित संख्या नहीं बता सकते हा लगभग में बताये तो बनारस में 88 घाट है |
वाराणसी के प्रसिद्ध गंगा घाट Famous Ghats of Banaras
वैसे तो Ghats of Banaras की संख्या लगभग 80+ है लेकिन हम आपको यहाँ पर शहर के लगभग सभी प्रसिद्ध घाटों की जानकारी दे रहे है जहाँ आप जरूर जाये –
दशाश्वमेध घाट बनारस का प्रमुख गंगा घाट
दशाश्वमेध घाट बनारस का सबसे ज्यादा प्रसिद्ध घाट है यहाँ पर स्नान करना बहुत ही पवित्र माना जाता है यह घाट शहर के प्रसिद्ध गौदोलिया चौराहे से थोड़ी दूरी पर है , दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती आपको जरूर देखनी चाहिये |
पौराणिक किद्वंती के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी जगह पर दस घोड़ो की बलि देने के लिये इस घाट को बनाया था और यह अनुष्ठान भगवन शिव के स्वागत में किया गया था यह घाट काशी विश्वनाथ मन्दिर के समीप ही है तो आपके लिये यह एक ऐसा घाट है जहाँ बिना जाये आपकी बनारस की यात्रा अधूरी है |
डा राजेन्द्र प्रसाद घाट – Famous Varanasi Ganga Ghat
बताते है पहले यह घाट भी दशाश्वमेध घाट ही बोला जाता था क्यूंकि डा राजेंद्र प्रसाद घाट दशाश्वमेध घाट के समीप ही है इस घाट का नाम भारत के प्रथम राष्ट्पति श्री राजेन्द्र प्रसाद जी के सम्मान में उनकी के नाम पर सन 1979 में रखा गया था यहाँ की भी गंगा आरती बहुत ही भव्य होती है |
मानमन्दिर घाट
यह मानमंदिर घाट राजेंद्रप्रसाद घाट से सटा हुआ है और जंतर मंतर के लिये प्रसिद्ध है जंतर मंतर में एक वेधशाला है जिसे मानसिंह वेधशाला के नाम से जानते है इस वेधशाला में आपको कई खगोलीय उपकरण देखने को मिलते है मान मन्दिर घाट निर्माण अजमेर के राजा सवाई मान सिंह ने सन 1585 में करवाया था |
इस घाट पर आपको कई मन्दिर जैसे स्थूलदंत विनायक देखने को मिलेंगे अरे हा इस घाट का श्री सोमेश्वरा मन्दिर भी अत्यंत लोकप्रिय है इस घाट पर जो मान सिंह वेधशाला है उसमे लगे खगोलीय उपकरण अभी भी ठीक ठाक स्थिति में है |
मीर घाट – Meer Ghat A famous Varanasi Ganga Ghat
मान मन्दिर घाट से आगे बढ़ते ही आ जाता है मीर घाट जिसका निर्माण सन 1735 में उस समय के फौजदार मीर रुस्तम अली ने करवाया था तभी से इसे मीर घाट के नाम से जाना जाता है कुछ लोगो का कहना है मीर घाट का पुराना नाम जरासंध घाट था मीर घाट पर माँ विशालाक्षी शक्तिपीठ भी है जो की अपनी उत्कृष्ट शिल्प कला से बहुत ही भव्य दिखाई पड़ता है यह मंदिर दक्षिण भारत की शिल्प कला का एक उदहारण है |
ललिता घाट
मीर घाट के आगे पड़ता है ललिता घाट इस घाट का निर्माण नेपाल के राजा ने हिन्दू देवी माँ ललिता के नाम पर करवाया था इसी घाट पर लकड़ी की अद्भुत शिल्प कला का एक नेपाली मन्दिर बना हुआ है जिसे पशुपतिनाथ मंदिर की तरह बनाया गया है इसी घाट पर स्थित माँ ललिता गौरी का मंदिर भी खास है अब यह घाट और भी ज्यादा प्रसिद्ध हो गया है क्यूंकि इसी घाट से भव्य दिव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की शुरुआत हो जाती है |
मणिकर्णिका घाट – महाशमशान घाट
मणिकर्णिका घाट Ghats of Banaras का एक अलग तरह का घाट है इसका दूसरा नाम महाशमशान घाट भी है वैसे मणिकर्णिका घाट दाह संस्कार के लिये प्रसिद्ध है एक किद्वंती के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती जब इस घाट को देख रहे थे तभी माता पार्वती के कान के कुण्डल की मणि कर्णमणि गिर गया तब से इस घाट का नाम मणिकर्णिका घाट है इस घाट पर आपको हमेशा कोई न कोई चिता जलती हुई दिखाई देगी |
ऐसी मान्यता है कि यदि इस घाट पर किसी का दाह संस्कार किया जाता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है इस घाट पर आपको तमाम लकड़िया दिखाई देती है जो की अलग अलग कीमत ही भी होती है इन लकड़ियों का काम शव को जलाना होता है यहाँ आप जरूर जाये और जीवन के इस सत्य को देखे |
सिंधिया घाट
मणिकर्णिका घाट से थोडा ही आगे चलकर पड़ता है सिंधिया घाट जो की एक बेहद खूबसूरत गंगा घाट है इसे बहुत से लोग शिंडे घाट भी कहते है सन 1835 में ग्वालियर की महारानी बैजाबाई सिंधिया ने इस घाट को पक्का करवाया था तबसे इसका नाम सिंधिया घाट पड़ा इस घाट के पास एक रत्नेश्वर महादेव मन्दिर है जो की टेढ़ा है और ज्यादातर महीनो में नदी में डूबा रहता है इसके अलावा सिंधिया घाट के आसपास वीरेश्वर , पर्वतेश्वर नाम के शिव मन्दिर भी है |
इसी घाट के पास एक भगवान दत्तात्रेय को समर्पित मन्दिर भी है हालाँकि जहाँ वह मन्दिर है उसे दत्तात्रेय घाट भी कह सकते है | सिंधिया घाट के आगे संकठा घाट है जहाँ भी आप जा सकते है |
पंचगंगा घाट – Famous Varanasi Ganga Ghat
पंचगंगा घाट सिंधिया घाट से आगे पड़ता है और इस घाट के बारे में कहा जाता है कि इस घाट पर पांच नदियों गंगा यमुना किरना सरस्वती और धुपापापा का संगम होता है लेकिन यहाँ दिखाई सिर्फ गंगा नदी ही देती है बाकी की चारो नदिया पृथ्वी के अन्दर है इसीलिये इस घाट का नाम पंचगंगा घाट पड़ा |
पौराणिक मान्यताओ के अनुसार स्वामी रामानन्द अपने शिष्यों को इसी घाट पर शिक्षा दिया करते थे और गोस्वामी तुलसीदास जे ने विनायक पत्रिका नाम की रचना को पंचगंगा घाट पर बैठकर ही लिखा था और औरंगजेब द्वारा बनवाई गई अलामगिरी मस्जिद भी इसी घाट पर है |
आदि केशव घाट -Adi Keshav Varanasi Ganga Ghat
आदि केशव घाट वाराणसी एक प्रमुख गंगा घाट है गढ़वाल वंश के राजाओ द्वारा ग्यारहवी सदी में इस गंगा घाट पर आदि केशव मन्दिर का निर्माण करवाया गया था , भगवान् विष्णु के इस घाट पर चरण पड़े थे इसीलिये इस विष्णु पादोदक भी कहते है विष्णु जी ने इसी घाट पर स्नान भी किया था तभी यहाँ पर आदि केशव मंदिर बनवाया गया था बताते है सन ११96 में अपनी सेना के साथ सिराबुद्दीन ने हमला किया और मन्दिर में लूट घसोट की थी Ghats of Banaras में यह घाट बहुत ही महत्वपूर्ण है |
अठारहवी शताब्दी में सिधिया के एक दीवान भालो जी ने इस आदि केशव घाट का पुनर्निर्माण करवाया था फिर बंगाल की एक रानी भवानी ने इस घाट को पक्का करवा दिया इस घाट की पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव जी के कहने से भगवान विष्णु पहली बार काशी आये थे और वो इसी घाट पर आये थे तभी से इस घाट का नाम आदि केशव पड़ा इस घाट पर गंगा नदी और वरुणा नदी का संगम होता है |
खिड़किया घाट या नमो घाट या खिड़किया नमो नमः घाट
यह बनारस शहर का बेहद सुन्दर नवनिर्मित घाट है इस घाट की साफ़ सफाई अति उत्तम है यह राज घाट में है इस घाट की सबसे बड़ी विशेषता यहाँ नमस्ते आकार में बनी तीन प्रतिमाये है और चौथी प्रतिमा बनाई जा रही है यह नमस्ते आकार की जो डिजाईन है वह अत्यधिक उत्कृष्ट है पर्यटन इस घाट पर इन नमस्ते आकार के डिजाईन को देखने आ रहे है मई २०२२ में यह घाट और विकसित किया जा रहा था ज्यादा से ज्यादा आधुनिक सुविधाए आपको खिड़किया घाट पर देखने को मिलेंगी |
यह तो हो गये दशाश्वमेध घाट से उत्तर की और के गंगा घाट अब बात करते है दशाश्वमेध के दक्षिण की तरफ के घाटों की –
शीतला घाट
शीतला घाट दशाश्वमेध घाट से सटा हुआ एक गंगा घाट है जिसका निर्माण इन्दोर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था इस घाट पर बेहद की प्रसिद्ध शीतला माता का मन्दिर है और उन्ही के नाम पर इस घाट का नाम शीतला घाट पड़ा आप यहाँ आकर शीतला माता के दर्शन अवश्य करे |
अहिल्याबाई घाट
अहिल्याबाई घाट शीतला घाट से सटा हुआ एक गंगा घाट है इस घाट का नाम महारानी अहिल्याबाई होल्कर के नाम पर पड़ा है सन 1785 में महारानी अहिल्याबाई ने इस घाट पर एक बहुत बड़ा महल बनवाया था और उस महल से गंगा जी का विहंगम रूप दिखाई देता था अहिल्याबाई घाट पर आप अहिल्याबाई बाड़ा , हनुमान मन्दिर और शिव मंदिर देख सकते है कहा जाता है की इस घाट का पुराना नाम केवल गिरि घाट था लेकिन जब महारानी अहिल्याबाई जी ने इस घाट का जीर्णोधार करवाया तबसे इस घाट का नाम अहिल्याबाई घाट पड़ गया |
दरभंगा घाट
दरभंगा घाट का निर्माण नागपुर के श्रीधर नारायण मुंशी के करवाया था इसीलिए पहले इसे मुंशी घाट बोलते थे फिर सन 1915 में दरभंगा के राजा ने इस घाट को खरीदकर इसका जीर्णोधार करवाया तबसे इस घाट को दरभंगा घाट कहा जाने लगा इस घाट पर एक महल सी ईमारत बनी हुई है जो की देखने में सुन्दर लगती है |
दिग्पतिया घाट
दिग्पतिया घाट भी वाराणसी का एक जाना माना गंगा घाट है जिसका निर्माण दिग्पतिया शासन में हुआ था इस घाट पर आपको बंगाली शिल्प कला की कई ईमारत देखने को मिलेंगी |
राजा घाट
राजा घाट पर माँ गंगा के सम्मान में तेल के दियो का दीपोत्सव मनाया जाता है राजा घाट का निर्माण राजाराव बालाजी ने सन 1720 में करवाया था |
गंगा महल घाट
गंगा महल घाट को नारायण वंश ने सन 1830 में बनवाया था इस घाट पर एक महल है जिसका उपयोग ज्यादातर शैक्षणिक संस्थाये ही करती है |
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नारद घाट
नारद घाट का निर्माण दत्रातेय स्वामी द्वारा सन 1788 में किया गया था यहाँ आप नारदेश्वर , वासुकिश्वारा , अत्रिश्वर , दात्तात्रेय्श्वर की प्रतिमाये देख सकते है इस नारद घाट का पुराना नाम कुवई घाट था आप जानते ही है Ghats of Banaras के लगभग हर घाट का कोई न कोई धार्मिक या पौराणिक महत्त्व है इसी क्रम में नारद घाट के बारे में कहा जाता है यदि इस घाट पर पति पत्नी स्नान करे तो उनके रिश्ते में दरार आ जाती है तो कृपया शादीशुदा लोग इस घाट पर ना जाये |
मान सरोवर घाट
मान सरोवर घाट बनारस का एक प्रमुख गंगा घाट है इस घाट पर सोलहवी शताब्दी में राजा मान सिंह ने एक कुण्ड बनवाया था जिसका महत्त्व तिब्बत की मानसरोवर झील के बराबर था तो बस इसी झील के नाम पर इस घाट का नाम मानसरोवर घाट पड़ गया और यह कुण्ड आज एक कुंवे में परिवर्तित हो गया है |
केदार घाट
केदार घाट बनारस का एक सुन्दर गंगा घाट है इस घाट का केदारेश्वर मन्दिर अत्यधिक प्रसिद्ध है इसी केदारेश्वर महादेव मन्दिर के नाम पर ही इस घाट का नाम केदार घाट पड़ा है |
विजयनगरम घाट
विजयनगरम घाट केदार घाट से सटा हुआ एक गंगा घाट है दक्षिण भारत की एक रियासत विजयनगरम के महाराजा ने इस घाट का निर्माण के लिये धनराशी सन 1890 में दी थी इसलिये इस घाट का नाम विजयनगरम घाट पड़ा |
हरिश्चन्द्र घाट बनारस का प्रमुख घाट
हरिश्चन्द्र घाट Ghats of Banaras में काफी लोकप्रिय गंगा घाट है यह एक पुराना घाट है एक राजा थे राजा हरिश्चन्द्र जिन्होंने सत्य और अपने दानी स्वाभाव के चलते इस घाट पर शमशान का काम किया था उन्ही के नाम पर इस घाट का नाम हरिश्चन्द्र घाट पड़ा यहाँ की मान्यता है कि जिस व्यक्ति का डाह संस्कार इस घाट पर होता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है |
चेत सिंह घाट
चेत सिंह घाट बनारस का एक ऐतिहासिक गंगा घाट है यहाँ के बारे में कहा जाता है की सन 1781 में चेत सिंह और वारेन हेस्टिंग्स के बीच युद्ध हुआ था इस युद्ध में चेत सिंह हार गये थे फिर उन्नीसवी शताब्दी में महाराजा प्रभु नारायण सिंह ने इस घाट को अंग्रेजो से लिया था |
जैन घाट
चेत सिंह घाट के समीप ही स्थित है जैन घाट यह घाट जैन धर्म के 7वे तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ को समर्पित घाट है सन 1885 में जैन घाट पर सुपार्श्वनाथ जी के सम्मान में एक मन्दिर बनवाया गया था |
तुलसी घाट
तुलसी घाट शहर बनारस का एक लोकप्रिय घाट है और निसंदेह यह बेहद ही सुन्दर गंगा घाट है और आपको बता दे की यह घाट रामनगर किले के ठीक सामने है पहले इसे लोलार्क घाट कहते थे क्यूंकि यही पर लोलार्क कुण्ड है सोलहवी शताब्दी में इस घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी आये थे तब से इस घाट का नाम तुलसी घाट हो गया , तुलसीदास जी ने अपने जीवन के आखिरी पल इसी जगह पर व्यतीत किये थे |
इस घाट पर स्थित लोलार्क कुण्ड के बारे में प्रचलित है कि इस लोलार्क कुण्ड में स्नान करने से स्त्री को संतान की उत्पत्ति होती है , इस घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी का कमरा भी है जहाँ वो रहा करते थे और इसी घाटपर रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा और रानी से सम्बन्धित एक संग्रहालय भी है |
असी घाट बनारस का प्रमुख घाट – Ghats of Banaras
दशाश्वमेध घाट की ही तरह असी घाट की गंगा आरती बहुत ही भव्य होती है असी घाट एक विशाल घाट है इस घाट पर असी नदी आकर गंगा नदी में मिलती है इसीलिये इसका नाम असी घाट है इस घाट पर आपको विदेशी पर्यटक और बहुतायत संख्या में छात्र दिखाई देते है यहाँ आपको कुछ लोग पेंटिंग करते दिखाई देंगे तो कही कुछ लोग बैठकर संगीत सुनाते दिखाई देंगे कुल मिलकर आप बोल सकते है असी घाट पर कलाकारों का जमावड़ा लगता है |
असी घाट पर होने वाला सुबह ए बनारस प्रोग्राम बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है इस घाट से सूर्यास्त और सूर्योदय के नज़ारे बहुत ही बढ़िया होते है |
वाराणसी के पंचतीर्थ घाट
शहर बनारस में Ghats of Banaras मतलब घाट तो बहुत से लेकिन मान्यताओ अनुसार पांच घाटो को पंचतीर्थ कहा जाता है आइये जानते है कौन कौन से घाट वाराणसी के पंचतीर्थ घाट है –
- दशाश्वमेध घाट
- मणिकर्णिका घाट – महाशमसान
- पंचगंगा घाट – पांच नदियों के संगम वाला घाट
- आदि केशव घाट
- असी घाट
बनारस के गंगा घाट कैसे देखे – Best Way to see Ghat of Banaras
देखिये मेरे हिसाब से आपको इस शहर के घाटो को दो तरह से देखना चाहिये एक तो पैदल पैदल एक घाट से दुसरे घाट आदि दूसरा तरीका है नाव की यात्रा से और आप को दोनों ही तरीको से गंगा के घाटो के दर्शन करने चाहिये नाव से तो आप रेट तय कर ले और नाविक आपको सब घाटों की जानकारी देता हुआ घाटों के दर्शन करा देगा |
अब पैदल में आप इन घाटों को कैसे देखो आइये इसपर बात करते है हम अपना केंद्र बिंदु बनाते है दशाश्वमेध घाट को इस घाट तक आने के लिये आपको सबसे पहले गौदोलिया आना होगा फिर वहां से थोड़ी दूर पैदल चलकर आपको दशाश्वमेध घाट मिल जायेगा अब हम पहले आपको उन घाटो के नाम बता रहे है जो दशाश्वमेध घाट के समीप है जहाँ आप पैदल ही जा सकते हो |
दशाश्वमेध घाट से मणिकर्णिका घाट की तरफ के घाट
दशाश्वमेध घाट -> डॉ राजेन्द्र प्रसाद घाट -> मान मन्दिर घाट -> मीर घाट -> त्रिपुरा भैरवी घाट -> ललिता घाट -> मणिकर्णिका घाट -> दत्तात्रेय घाट -> सिन्धिया घाट -> संकठा घाट -> गंगा महल घाट 2 -> भोंसले घाट -> राम घाट -> जटार घाट – -> राजा ग्वालियर घाट -> पंचगंगा घाट -> ब्रह्मा घाट -> गाय घाट
उपरोक्त सभी घाट लगभग 2 किलोमीटर में ही है बस गाय घाट पंचगंगा घाट से लगभग 600 मीटर की दूरी पर है आप पैदल भी घूम सकते और आपको बता दे यदि आप दशाश्वमेध घाट से सिर्फ सिंधिया घाट तक आते हो तो यह सभी घाट एक किलोमीटर के दायरे में है अब यदि हम दूर की बात करे तो खिड़किया घाट और आदि केशव घाट के लिये आपको राज घाट तक आना होगा जिसकी दूरी दशाश्मेध से लगभग 5 किलोमीटर है |
दशाश्वमेध घाट से असी घाट की तरफ के घाट
दशाश्वमेध घाट -> अहिल्याबाई घाट -> दरभंगा घाट -> राणा महल घाट -> दिग्पतिया घाट -> राजा घाट -> गंगा महल घाट -> नारद घाट -> मानसरोवर घाट -> केदार घाट -> विजयनगरम घाट -> हरिश्चन्द्र घाट -> चेत सिंह घाट -> जैन घाट -> जानकी घाट -> भदैनी घाट -> तुलसी घाट -> असी घाट
दोस्तों हमने Ghats of Banaras की पोस्ट के माध्यम से आपको बनारस के घाटों से रूबरू कराया है यदि आपको पोस्ट ठीक लगी हो तो इसे शेयर करे अपने सुझाव हमें कमेन्ट करकर दे |
बनारस के घाट से सम्बन्धित प्रश्न –
दशाश्वमेध घाट , मणिकर्णिका घाट , असी घाट , पंचगंगा घाट , आदि केशव घाट
बनारस की फेमस गंगा आरती दशाश्वमेध घाट , डॉ राजेंद्र प्रसाद घाट और असी घाट की बढ़िया होती है |
दशाश्वमेध घाट
मणिकर्णिका घाट – महाशमसान
पंचगंगा घाट – पांच नदियों के संगम वाला घाट
आदि केशव घाट
असी घाट
Dashashvmedh Ghat
Kya Banaras ke ghat ke dono kinare ka saman mahatwa hai.. hum dusri kinare par bhi ganga snan kar sakte hain?
jee bilkul aap naav dwara doosri taraf jakar snaan kar sakte hai