ओरछा धाम और बरुआसागर की घुमक्कड़ी के मेरे किस्से
ओरछा धाम जो की मध्य प्रदेश में है हमारी पिछली पोस्ट झांसी महारानी लक्ष्मीबाई का शहर की घुमक्कड़ी का यात्रा वृतान्त में आपने मेरे साथ झाँसी को घूमा और रात में आकर मै अपने होटल रूम में सो गया सुबह 6 बजे उठकर और नहा धोकर ओरछा जाने के लिये रेडी हो गया वही सीपरी से ऑटो में बैठकर सुबह के सात बजे मै झांसी के बसड्डे पर था वहां जानकारी की तो पता चला की ओरछा के लिये टेम्पो जाते है तो बस मै देर न करते हुये टेम्पो मै बैठ लिया |
ओरछा धाम यहाँ एक बार आकर देखिये आपको अच्छा लगेगा
जब मै टेम्पो में बैठा था तो टेम्पो में सिर्फ मै ही बैठा था और टेम्पो भरने में लगभग 50 मिनट लग गए क्यूंकि सुबह-सुबह सवारियां कम ही थी खैर टेम्पो चल पड़ा और टेम्पो की गति के साथ मै फिर से ओरछा धाम ऐसा होगा वहा रूम जो मिलेगा वो कैसा होगा बेतवा नदी कैसी होगी राम राजा सरकार मन्दिर कैसा होगा तरह तरह के जिज्ञासा वाले प्रश्नों की उत्तरों की एक धुंधली-धुंधली तस्वीर मन में बन रही थी |
झांसी से ओरछा धाम तक का रास्ता बढ़िया था जल्द ही टेम्पो ने मुझे ओरछा उतार दिया था जहाँ पर मै उतरा सामने एक गेट था जानकारी की तो मालूम हुआ थोडा पैदल चलो आगे ही श्री राम राजा सरकार मन्दिर और किला है बस मैंने टांगा अपना पिट्ठू बैग और रास्ते को निहारते हुये आगे बढ़ लिया रास्ते में तमाम होटल गेस्ट हाउस दिखाई दे रहे थे मन तो किया चलो यही कही रूम ले लिया जाय लेकिन फिर सोचा चलो एक बार देख ले मेरी जानकारी में यहाँ पर एक धर्मशाला भी है जो की श्री राम राजा मन्दिर परिसर में है |
लेकिन भूख लग आई थी तो मैंने एक दुकान में चाय और ब्रेड के पकोड़ो का नाश्ता किया स्वाद कोई बेहतर नहीं था लेकिन ठीक-ठाक था फिर आगे आकर मुझे श्री राम राजा सरकार मन्दिर का गेट दिखाई दिया और इसी मन्दिर के सामने ही ओरछा का किला भी है और राम राजा मन्दिर के पास ही चतुर्भुज मन्दिर भी है अब जो मुख्य रोड से एक गली श्री राम राजा सरकार मन्दिर की और गई थी मै उसमे चल दिया |
इस गली में आपको होटल रहने वाले खाने पीने के और खेल खिलौनों की दुकाने और धार्मिक सामान की दुकाने दिखाई देंगी आगे मन्दिर परिसर में जैसे ही आप एंट्री करोगे सामने तो मंदिर जाने के लिए रास्ते और चप्पल जूता स्टैंड है यदि आपको भूख लगी हो तो यही पर दो तीन दुकाने है जहाँ आप पुड़ी सब्जी रायता का स्वाद चख सकते है बाकी मन्दिर परिसर में तमाम प्रसाद की फूल की दुकाने है जहाँ आप चाहो तो प्रसाद ले लो ऐ परिसर में मान के चलो मेला सा लगा रहता है |
अब मैंने अपने जूते उतारे और बिना प्रसाद लिए अपना बैग टाँगे ही चल पड़ा श्री राम राजा के दर्शन हेतु जनवरी २०२२ थी तो कोरोना के मद्देनजर भीड़ ज्यादा नहीं थी मैंने मुख्य गेट को प्रणाम किया और मुख्य मन्दिर में प्रवेश कर गया रामजी के भजन की गूँज से यहाँ पर एक दिव्य वातावरण था सकारात्मका प्रचुर मात्रा में यहाँ पर थी मेरे भी रोम रोम में बस श्रीराम की भक्ति समाई जा रही थी फिर लाइन में लगकर मैंने राम राजा के दर्शन किये मै श्रीराम के दर्शन कर खुद को धन्य समझ रहा था |
फिर यहाँ और भी देवी देवताओ के मन्दिर थे उन सबके दर्शन किये एक जगह लिखा हुआ था महाप्रसाद तो वहा गया देखा कि मुख्य मंदिर के अन्दर महाप्रसाद मिल रहा था तो यह महाप्रसाद 25 रूपये का 60रूपये का और 120 रूपये का था मैंने 25 वाला लेने का मन बनाया पहले एक काउन्टर पर जाकर 25 रूपये का टोकन लिया फिर जाकर महाप्रसाद लिया जिसमे दो लड्डू एक पान का बीड़ा और एक इत्र की कली थी अब मुझे ओरछा धाम रुकने का भी जुगाड़ करना था तो मै बाहर आकर श्री राम राजा धर्मशाला की खोज करने लगा |
खोज मेरी जल्दी ही समाप्त हो गई क्यूंकि यह धर्मशाला मन्दिर परिसर में ही थी जैसे ही आप मुख्य रोड से मंदिर वाली गली में घुसेंगे और जहाँ पर मंदिर का मुख्य द्वार होगा उसके बाई और तो पुड़ी की दूकान है और दाई और आप सीधा चले जाओ तो आपको श्री राम राजा धर्मशाला दिखाई देगी मै अन्दर गया तो पता चला की एक रूम 100 रूपये का है लेकिन उसमे बाथरूम बाहर जाना पड़ेगा मैंने कहा ओके जी कोई दिक्कत नहीं अकेले इन्सान को 100 रूपये में रूम मिल जा रहा था और क्या चाहिए |
वैसे इस धर्मशाला में अटैच वाशरूम वाले भी रूम है लेकिन मैंने 100 रूपये वाला रूम लिया था आइये आपको धर्मशाला के बारे में बता यह एक खुली सी विशाल धर्मशाला है जहाँ आपको अच्छा लगेगा पानी पीने के लिए वाटर कूलर लगा है रूम के बाहर बड़ा सा आंगन है कमरे भी ठीक ठाक औसत दर्जे के है अत्याधुनिक सुविधाये यहाँ आपको नहीं मिलेंगी हां जो इनके कामन टॉयलेट है वो गंदे थे बस यही बात थोड़ी अखरी थी खैर मैंने फोर्मैलिटी पूरी करके कमरे की चाभी ली और आया रूम में बैग उतारा जूते उतारे और लेट गया |
20 मिनट आराम करने के बाद बाहर आया और फिर से मंदिर परिसर में ही भ्रमण करने लगा मुझे दो ऊँची ऊँची मीनारे दिखाई दे रही थी उनके पास गया तो पुरातत्व विभाग का बोर्ड लगा देखा तो जानकारी मिली कि ये सावन भादो पिलर है इन मीनारों के नीचे से सुरंग बनी है जिससे पहले राजपरिवार के लोग किले से श्री राम राजा सरकार मन्दिर तक आया करते है फिलहाल तो सुरंगे बंद करवा दी गई |
अब मुझे यह ओरछा धाम बहुत ही खूबसूरत लग रहा था क्यूंकि सावन भादो पिलर के पास से श्री राम राजा मंदिर और चतुर्भुज मन्दिर की भव्यता एक साथ दिखाई दे रही थी खैर मै इन दोनों पिलर से थोडा आगे बढ़ा रास्ते में सब दुकाने ही थी छोटा मोटा मेला सा लगा था बच्चो के खिलौनों की दुकाने पूजा सामग्री की दुकाने आदि सजी हुई थी थोड़ी ही दूरी पर श्री हरदौल बैठक आ गई मै उत्सुकता वश यहाँ आ गया यहाँ पर बाग़ सा था जिसमे ढेरो पेड़ पौधे लगे थे हरियाली थी ठण्डा था और बाग़ के बीच में एक चबूतरा बना था जिसे ही श्री हरदौल बैठका कहते है |
अब ये श्री हरदौल बैठका क्या है और श्री हरदौल कौन थे यह सब जानने के लिये आप हमारी पोस्ट ओरछा का इतिहास | श्री राम राजा मन्दिर की कहानी | राजा हरदौल की कहानी जरूर पढ़े खैर आपको बता दे हरदौल राजा वीर सिंह देव के सबसे छोटे पुत्र थे बुन्देलखण्ड के स्थानीय लोग राजा हरदौल की पूजा करते है हरदौल बैठका पर राजा हरदौल की बहुत ही सुन्दर प्रतिमा बनी है मैंने भी राजा हरदौल के दर्शन किये और वापस आ गया फिर चतुर्भुज मन्दिर की उत्कृष्ट बनावट को निहारता रहा यह भगवान विष्णु को समर्पित एक बहुमंजिला भव्य मन्दिर है |
मैंने यहाँ पर फोटो शोटो ली और अब कहाँ की घुमक्कड़ी की जाए ये सोचने लगा तब तक दिमाग में आया की बरुआसागर चले क्या आपको बता दे बरुआसागर झांसी जिले में है और आप ओरछा धाम से भी बरुआसागर जा सकते हो फिर क्या था पैदल पैदल आ गया टेम्पो स्टैण्ड के पास और जानकारी की तो बताया गया या तो बुक करके जाओ या फिर एक टिगेला तक जाने वाले टेम्पो में बैठो फिर टिगेला से बरुआसागर तक का टेम्पो मिल जायेगा मै फटाफट टिगेला वाले टेम्पो में बैठा और फिर टिगेला से बरुआसागर टेम्पो में बैठकर आ गया बरुआसागर जो की झाँसी से 21 किलोमीटर है |
जहाँ टेम्पो वाले ने उतरा वही पे बरुआसागर की सुप्रसिद्ध मिठाई की दुकान न्यू पाण्डेय मिष्ठान भण्डार था जहाँ के देशी घी के रसगुल्ले सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड में प्रसिद्ध है मैंने इनके रसगुल्ले को चखा काफी बड़ा और स्वादिष्ट था रसगुल्ला अब मेरा अगला पड़ाव था बरुआसागर झील और झरना अब निकल पड़ा जानकारी मिली की थोडा सा दूर है टेम्पो से निकल जाओ मैंने कहा ठीक बैठा ऑटो में आ गया बरुआसागर के पास और पैदल पैदल आगे बढ़ने लगा |
बरुआसागर घूमने की समस्त जानकारी कैसे पहुंचे क्या क्या देखे Baruasagar Fort
थोड़ी ही दूरी पर झरना तो दिखाई दिया लेकिन पानी बहुत कम था तो झरने में तो मजा आया नहीं अब झील की तरफ बढ़ चला जिसका रास्ता तमाम मंदिरों से होकर था और सीढियों से ऊपर जाकर झील थी झील क्या एक डैम था ऊपर आया तो मन प्रसन्न हो गया बेहद ही खूबसूरत नजारा था चारो तरफ दूर दूर तक पानी ही दिखाई दे रहा था वहां एक स्थानीय से जानकारी की तो मालूम हुआ की जब डैम में पानी ज्यादा हो जाता है तब पानी नीचे छोड़ दिया जाता है यही पानी आगे जाकर झरना बन जाता है |
खैर मुझे यह झील पसंद आई अच्छा जो झील का रास्ता था उसमे एक दो छोटे छोटे झरने थे कई कुण्ड थे जिनमे पवित्र जल था हर एक कुंड का अपना अलग महत्त्व था अब मै बरुआसागर किले को देखने आ गया जो की झरने से थोड़ी दूरी पर है और यह किला उंचाई पर बना है यह ज्यादा बड़ा तो नहीं है लेकिन यदि आप बरुआसागर आये तो किले को भी जरूर देखे किले के ऊपर से बरुआसागर झील दिखती है किले की शिल्पकला बढ़िया है मै थोड़ी देर किले के ऊपर से बरुआसागर झील के पानी को देखता रहा फिर वहां से निकल पड़ा थोड़ी ही दूरी पर जराय का मठ था |
जराय का मठ मुझे तो थोडा थोडा खजुराहो के मंदिरों की तरह लगा फिलहाल मस्ट विजिट प्लेस है इसके अलावा बरुआसागर में माँ मंसिल दरबार भी जा सकते है अब शाम होने को थी मै फटाफट निकला और टेम्पो टेम्पो करते हुये आ गया ओरछा धाम और धर्मशाला ले रूम में फिर से आधे घंटे विश्राम करके कपडे बदले लोवर पहना और फिर निकल पड़ा शाही छतरियो की तरफ जो की बेतवा नदी के किनारे पर है मै रूम से टहलता हुआ पैदल ही बेतवा नदी के किनारे बनी इन छतरियो तक आ गया अब यहाँ का जो नजारा था क्या ही कहू बस मुझे तो ओरछा से प्यार हो गया था |
सामने बेतवा नदी और किनारे पर बनी शाही छतरियां जो सचमुच शाही ही थी यहाँ पर आप राफ्टिंग का भी लुत्फ़ उठा सकते है मेरा यहाँ से उठने का मन ही नहीं हो रहा था यहाँ पर एक I LOVE ORCHHA लिखा हुआ सेल्फी पॉइंट भी था हमने टशन में फोटो वोटो लिये और अब अँधेरा हो रहा था अँधेरा तो हो रहा था लेकिन इस जगह की ख़ूबसूरती अब और बढ़ रही थी जैसे ही इन शाही छतरियो में लाईटे जलने लगी इन छतरियो में तो चार चाँद लग गए अब तो और मै वहां से उठ नहीं पा रहा था |
खैर 8:30 हो रहा था भूख भी लग रही थी तो मै अपने रूम / श्री राम राजमंदिर की और आ गया वही पर एक और मंदिर था जानकी जू मंदिर मैंने इस मन्दिर में जानकी माँ के सुन्दर दर्शन किये और एक होटल से दो आलू के पराठे पैक कराये और रूम में आकर खाये उसके बाद जो सुबह श्री राम राजा सरकार मन्दिर में महाप्रसाद लिया था उसका एक लड्डू खाया गज़ब का स्वाद था इस महाप्रसाद में अब मोबाइल उठाया और यार दोस्तों परिवार वालो से बात करते करते सो गया सुबह 7 बजे नींद खुली |
तो फ्रेश होकर नहा धोकर सबसे पहले श्री राम राजा सरकार मन्दिर के दर्शन किये फिर निकल गया लक्ष्मी नारायण मन्दिर की इस मंदिर की शिल्पकला अद्भुत है यह मन्दिर क्या एक महल सा लगता है यह मंदिर मुख्य रूप से माँ लक्ष्मी को समर्पित है और यहाँ की चित्रकारी बहुत सुन्दर है यहाँ दर्शन करके मै सीधे ओरछा के किले के गेट पर आया टिकट ली और शुरू हो गया यह भव्य किला का टूरिज्म सबसे पहले मै जहाँगीर महल गया जहाँ पड़ी बेंच पर बैठकर इस महल को निहारता रहा |
आपको बता दे जहाँगीर महल राजा वीर सिंह देव ने जहाँगीर के सम्मान में बनवाया था यह महल वर्गाकार है और इस महल में आप बालकनी , गुम्बद , कमरे जगह जगह पर बनी नक्खाशी देख सकते है हर एक चीज की बनावट काबिलेतारीफ है मै बड़ा इत्मीनान से जहाँगीर महल घूम रहा था मै जीने से ऊपर भी गया वहां के भी नज़ारे देखे जहाँगीर महल के दूसरे गेट से जब मै बाहर निकला तो मुझे ऊँट खाना दिखाई दिखाई दिया जो की एक ऊँचे से चबूतरे पर बना हुआ है यहाँ ऊँट बांधे जाते होंगे अब मै इस ऊँट खाने के पास से नीचे उतरा तो सामने राय प्रवीण महल था |
लगे हाथो इस महल की भी घुमक्कड़ी कर ली यह भी एक बेहतरीन शिल्प कला का उदहारण है राय प्रवीण एक कुशल नृत्यांगना कुशल गायक और बहुत ही सुन्दर ही तो यह महल राजा इन्द्रजीत ने राय प्रवीण के लिए बनवाया था दो मंजिल के इस महल का उद्यान भी काफी हरा भरा था अब यहाँ से आगे तीन दासियों का मंदिर , पंचमुखी महादेव मंदिर , राधिका बिहारी मंदिर , बनवासी मंदिर देखा फिर वापस आकर जहाँगीर महल से होते हुये राजा महल की तरफ आया |
राजा महल भी ओरछा किला काम्प्लेक्स का एक खूबसूरत महल है इस महल में भी आपको काफी समय लगेगा क्यूंकि एक तो यह बड़ा है ऊपर से अत्यंत सुन्दर तो फोतोबाजी भी करोगे न एक और बात जो किले में साउंड एंड लाइट शो होता है वह राजा महल में ही आयोजित किया जाता है | राजा महल के बाद अब मै किले को अलविदा कर रहा था और अलविदा करते करते तोपखाना भी देख लिया आप ढेर सारा समय लेकर आये |
देखिये यदि आप कबड्डी खेलना चाहते हो तो तब तो आधा घंटे में सारे महलों के पाले को छूकर आप आ जाओ लेकिन यदि आप बुंदेलखंड स्थापत्य कला , राजपूत स्थापत्य कला को महसूस करना चाहते तो आप यहाँ सकून के साथ घूमिये और यहाँ कम से कम 3 घंटे बिताइए फोटो वोटो लीजिये इस किला परिसर में पप्री वेडिंग शूट खूब होते है अब मै ओरछा धाम से विदा लेने वाला था तब तक मन किया क्यों न एक बार फिर राम राजा के दर्शन हो जाए तो लो आ गए फिर से राम दरबार में दर्शन करे और इस बार निकल लिए मंदिर के दूसरे गेट से |
अब दूसरे गेट से एक रोड पर टहल रहे थे तो एक और मन्दिर दिखाई दिया जो की पहाड़ी पर काफी उंचाई पर बना था अब ये कौन सा मन्दिर है उत्सुकतावश मै सरपट मन्दिर की और दौड़ लिया और ऊपर एक छोटी सी लड़की थी जो मन्दिर की देखरेख करने वाले की बिटिया थी उससे जानकारी करी तो वो बिटिया बताई ये माँ संतोषी का मंदिर है यह मंदिर भी खूबसूरत था मैंने संतोषी माँ के दर्शन किये फिर आपको बताऊ इस मन्दिर से जो व्यू मिल रहे थे वाह |
ओरछा में घूमने की जगहों की A to Z जानकारी – Orchha Tourist Places
इस मंदिर से आपको चतुर्भुज मन्दिर और श्री राम राजा मन्दिर के बहुत ही आकर्षक व्यू दिखाई दे रहे थे तो यदि आप के पास समय हो तो आप माँ संतोषी के मन्दिर भी हो ले मुझे अभी ओरछा अभयारण्य जाना था लेकिन शाम होने को थी और मुझे आज दतिया भी निकलना था तो फिर मैंने अभ्यारण्य का प्लान कैंसल किया और निकल पड़ा दतिया की और अब दतिया कैसे क्या घूमा अगली पोस्ट में बताऊंगा फिलहाल मेरी ओरछा धाम की यात्रा बहुत ही अच्छी रही |
ओरछा धाम मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में है |
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