Kannauj Attar Ka Shahar – यहाँ की गलियां भी महकती है और गट्टे में भी मिठास है
बेशक Kannauj Attar का शहर है यहाँ प्राचीन काल से इत्र बनाया जाता है और सबसे बढ़िया बात जो कन्नौज को औरो से अलग बनाती है वो है इत्र बनाने का तरीका आपको बता दे यहाँ आज भी पुराने तरीके से खुशबू से भरपूर इत्र बनाया जाता है आज इस पोस्ट में हम आपको अपने यात्रा वृतांत के माध्यम से Kannauj Jila की सैर करायेंगे तो यह ब्लॉग पूरा पढ़े और उत्तर प्रदेश की परफ्यूम कैपिटल को जानिये |
मेरा Kannauj Attar Ke Shahar का यात्रा वृतान्त
नाम तो बहुत सुना था और मेरे शहर से पड़ोस में है कन्नौज लेकिन कभी जाना नहीं हुआ था एक शाम को एकदम से सोचा क्यों न कन्नौज ही घूम आये पड़ोस में ही तो है तो बस कर ली तैयारी अरे तैयारी में क्या बस एक बोतल पानी सेनेटाईज़र मास्क आधार कार्ड बस , कन्नौज हमारे शहर हरदोई से महज 60 किलोमीटर है तो मैंने बस से जाने का तय किया और अगले ही दिन सुबह मै कन्नौज जाने वाली बस में था पड़ोस में एक व्यक्ति आके बैठ गए और थोड़ी ही देर में हमारी बस कन्नौज की और चल दी |
जो सज्जन पास बैठे थे उनसे मैंने थोड़ी हाई हेल्लो की तो पता चला की वो Kannauj Jila के ही निवासी है तो मैंने उनसे जानकारी मांगी की आपके शहर में क्या क्या घुमक्कड़ी की जा सकती है तो उन्होंने मुझे बाबा गौरी शंकर मन्दिर , फूलमती देवी मन्दिर , जयचंद का किला , मेहंदी घाट , माँ अन्नपूर्णा देवी मंदिर, , मखदूम जहानिया का नाम बताया अब मै ठहरा भुलक्कड़ तो ये सब मैंने मोबाइल में ही नोट कर लिया बस अब मै Kannauj Attar के शहर के आने का इंतज़ार करने लगा |
मेरी बस कन्नौज के बसड्डे पे आ चुकी थी यहाँ का बस स्टैंड ज्यादा बड़ा नहीं था अब मुझे सर्वप्रथम जाना था बाबा गौरीशंकर के मंदिर जो की कन्नौज में अति प्रसिद्द है मैंने एक ऑटो किया और निकल लिया मन्दिर की और रास्तो की ज्यादा जानकारी थी नहीं मुझे ऑटो वाला तंग गलियों से होते हुए ले आया था मन्दिर पर , मै उतरकर मंदिर की और बढ़ चला रास्ते में प्रसाद और फूलो की ढेर सारी दुकाने पड़ी मैंने वहां से फूल लिए और आ गया मन्दिर प्रांगण में , बाबा गौरी शंकर महादेव का यह मन्दिर अत्यधिक बड़ा सा था इसमें कई अन्य छोटे मंदिर थे और यहाँ गेट पे बंधे घंटे बहुत ही खूबसूरत दिखाई दे रहे थे |
Kannauj Itra Nagri में घूमने की समस्त जानकारी
इसी मन्दिर में जानकारी मिली कि राजा हर्ष के समय इस मंदिर की पूजा के लिए 1000 पुजारी नियुक्त थे और यहाँ स्थापित गौरी मुखी शिवलिंग छठी शताब्दी का है इस मन्दिर में एक सुन्दर सा पार्क भी है जो बंद था लेकिन मंदिर प्रांगण बहुत ही बड़ा और अच्छा बना हुआ है अब मैंने बही के प्रसाद वाले से जयचंद फोर्ट के बारे में पूछा तो उसने बोला अरे भैया पास में ही है तो मै निकल पड़ा फोर्ट देखने पैदल पैदल फोर्ट से पहले ही एक मन्दिर पड़ा जिसके बारे में पता किया तो मालूम हुआ की यह Kannauj Jila का प्राचीन मन्दिर है इसका नाम क्षेमकलि देवी था |
मैंने माँ क्षेमकली देवी के दर्शन किये यहाँ जाने के लिए आपको सीढियों से होकर जाना होगा यहाँ भी कई अन्य मंदिर है अच्छा इस मंदिर के समीप में ही अत्यन्त भव्य श्री राधा बांके बिहारी मन्दिर था यह सच में अत्यंत भव्य प्रतीत हो रहा था इसकी एक फोटो लेने के लिए मुझे सड़क से थोडा दूर हटना पड़ा अब मै जयचंद के एतिहासिक किले की और बढ़ रहा था और निराशा मेरा इंतज़ार कर रही थी जैसे ही मै फोर्ट के पास पहुंचा मैंने वहा सिर्फ राजा जयचंद की प्रतिमा पाई और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक बोर्ड जिसमे लिखा था प्राचीन किला कन्नौज और राजा जयचंद की प्रतिमा के पीछे एक ऊँचा सा टीला है तो मैंने वहा से गुजरते हुए एक व्यक्ति से पूछताछ की तो उन्होंने बताया भैया किला विला तो नहीं हा ऊपर चढ़ जाओ तो आपको पूरा कन्नौज दिखाई देगा |
तो बस मै चल दिया पूरा कन्नौज देखने और वाकई में किला तो ऊपर था नहीं न ही कोई अवशेष थे किले लेकिन कन्नौज जरूर दिखाई दे रहा मैंने कन्नौज देखा और उतर आया संभल के रोड पे अब मै वहां जाना चाह रहा था जिसके लिए यह शहर विश्व भर में प्रसिद्ध है जी हा Kannauj Attar बाजार में , वैसे तो पूरे Kannauj Jila में आपको इत्र की कई दुकाने मिल जाएँगी लेकिन मै आ पहुंचा था एक ऐसी मार्किट में जहा ढेर सारे इतर की दुकाने थी यह गली क्या पूरी मार्किट थी लेकिन अत्यंत संकरी रोड थी इसलिए मैंने इसे गली कहा |
परन्तु यहाँ आके एहसास हो रहा था की अब मै Kannauj Attar के शहर में हु टहलते हुए मुझे भीनी भीनी खुशबू आ रही थी ऐसा लग रहा जैसे किसी ने इत्र की कई बोतलों को हवा में घोल दिया हो और पूरा वातावरण खुशनुमा हो गया हो एक अलग तरह की सकारात्मक उर्जा थी यहाँ अब मै एक इत्र की दूकान में था तो दूकान के मालिक से इत्र की जानकारी ली तो पता चला यहाँ फूलो का जड़ी बूटियों का मिटटी का इत्र मिलता है और यही पर इत्र बनाने के कारखाने भी है और इन कारखानों में पुरानी विधि से बेहतरीन गुणवत्ता वाला इत्र आज भी बनाया जाता है जिसकी सप्लाई पूरे हिन्दुस्तान में है |
यहाँ अगरबती धूपबत्ती भी सही दामो पर मिल रही थी और ये भी कन्नौज की ही बनी हुई थी अब मै इसी दुकान में खरीददारी कर रहा था मैंने तीन तरह के इत्र लिए और धूपबत्ती ली ली फिर दुकान के ओनर बोले जरा यह खाने वाला गुलाब जल चख के देखिये ये भी कन्नौज का बना है और बहुत ही बढ़िया चीज है तो मैंने गुलाबजल की दो तीन बूंदे अपने हाथ पे लेके मुह में डाली जैसे ही यह बूंदे मेरे मुंह में गई ऐसा लगा जैसे मैंने सैकड़ो गुलाब खा लिए हो मुझे अपने अन्दर से गुलाब की खुशबू आने लगी लाजवाब था यह कन्नौज का गुलाबजल |
अब मुझे भूख लग रही थी और मैंने थोड़ी ही दूर जाकर एक दूकान देखी जहाँ आलू टिक्की पानी के बताशे दही बड़े थे तो मैंने एक पत्ता टिक्की लगवाया स्वाद यहाँ का एवरेज था फिर मैने दही बड़ा भी खाया जो की स्वादिष्ट था इस शॉप का दही बड़ा मीठा था और मुझे मीठा है पसन्द, जैसे ही थोडा आगे बढ़ा Kannauj Attar के शहर की दूसरी प्रसिद्ध चीज के दर्शन हो गए वो थी यहाँ के गट्टे और गट्टे की प्रसिद्ध और पुरानी दूकान कलावती के गट्टे मेरे सामने थे तो आपको बता दू इनके गट्टे देशी घी से बने होते है और इन पर ढेर सारी मेवा चिपकी रहती है इनको आप जैसे ही मुह में डालोगे यह अपनी मिठास और महक को आपके मुह के माध्यम से आपके तन मन में घोल देंगे हालाँकि इनका मूल्य मुझे ज्यादा लगा शायद 225 रूपये प्रति किल्लो था खैर मैंने आधे किलो का एक गट्टे का डिब्बा लिया और निकल पड़ा अपने अगले गंतव्य स्थल की और जो की मखदूम जहानियाँ था |
लेकिन समस्या थी की जहनिया तक पहुंचे कैसे खैर तब तक एक ऑटो दिखाई दिया उससे कहा भाई छोड़ दो बोला छोड़ दूंगा मै बैठ लिया और हम दोनों दौड़ पड़े कन्नौज की सड़को पर और चंद मिनटों में हम मखदूम जहनिया के समीप थे अब मुझे पद यात्रा करनी थी कोई नही इसमें तो मै एक्सपर्ट हु यह स्थल काफी उंचाई पर बना है मै चढ़ के अगले 3-4 मिनट में मखदूम जहानिया के गेट पे था यहाँ तो यार एकदम सन्नाटा था बाकी यह मकबरा था तो डर भी लगा लेकिन डरते हुये मै अन्दर गया और अन्दर वाकई में मकबरे थे और मकबरों में मजारे ये मकबरे देखने वाले थे यहाँ की नक्खाशी अच्छी थी मकबरों के आगे यहाँ एक अन्य ईमारत है जिसे 52 खम्भा बोलते है क्यूंकि इसमें अत्यंत सुन्दर 52 खम्भे बने है और यहाँ एक मस्जिद भी है यहाँ आपको एक सकून मिलेगा और यहाँ उपस्थित हर एक ईमारत की शिल्पकला बेजोड़ है |
अब मै Kannauj Attar के शहर की गलियों में पैदल ही चला जा रहा था ये तय नही था की कहा जाऊ थोडा सा आगे बढ़ने में मुझे एक सुन्दर सा मंदिर दिखाई दिया जिसका नाम बाबा आनंदेश्वर नाथ मन्दिर था यहाँ भी मैंने दर्शन किये और यहाँ मौजूद के महिला के कहने पर मै निकल लिया माँ फूलमती देवी मन्दिर की ओर रास्तो से अनजान गूगल मैप के सहारे चला जा रहा था लगभग 20 मिनट बाद आखिर माँ फूलमती देवी का मन्दिर मेरे सामने था यहाँ की मान्यता है की यहाँ जिस नीर से माता को स्नान कराया जाता है अह अत्यधिक पवित्र होता है उससे आँख सम्बन्धी बीमारिया दूर हो जाती है खैर मैंने माँ के अच्छी तरह से दर्शन किये |
अब मन चाय की चुस्की का करने लगा खैर एक चाय का खोखा (छोटी सी दूकान) दिखाई दी वहां एक बुजुर्ग बैठे तो बड़े ही मन से उन्होंने मुझे चाय दी वाकई में चाय बिलकुल घर जैसी थी उस चाय ने मेरी थकान सुस्ती को मिटा दिया था चाय की चुस्कियो के साथ मै सोच रहा था अब कहा जाऊ फिर उन बाबा से वार्तालाप हुई तो उन्होंने बता की यही थोड़ी दूरी पे एक छोटा सा माँ पचकुइयां देवी का मन्दिर है Kannauj Jila के स्थानीय लोगो में इस मंदिर का भी बड़ा महत्त्व है तो बस तांगा झोला और निकल पड़ा मंदिर की ओर पूछते पूछते आखिर मै आ गया था माँ पचकुइयां देवी के मंदिर पर बहुत ही छोटा सा पुराना मन्दिर था खैर मैंने दर्शन किये और वापस रोड पे आ गया |
अब शाम होने को आई थी और मै अभी माँ अन्नपूर्णा देवी मंदिर जो की तिर्वा में है वहां जाने की सोच रहा था और माँ गंगा में नहाने का भी मन था और वापसी भी करनी थी तो मैंने मेहंदी घाट जाने का निर्णय लिया और आ गया Kannauj Jila बस स्टैंड जहाँ से मुझे मेहंदी घाट के लिए एक टेम्पो मिला जो की जब तक फुल न हो गया तन तक वहा से हिला भी नहीं मार ठूस ठूस के सवारियों को भरके टेम्पो दौड़ पड़ा माँ गंगा के पावन मेहंदी घाट की ओर , लगभग 30 मिनट में टेम्पो ने हमे मेहंदी घाट पे उतार दिया था मेरे दिमाग में सबसे पहले गंगा स्नान था तो फटाफट मै जाकर स्नान करने पहुंचा यह घाट ठीक ठाक है न बहुत ही सफाई है यहाँ न ही गंदगी है यहाँ आप नाव की सवारी का भी आनंद ले सकते हो |
मै Kannauj Attar के शहर में गंगा स्नान करके खुश था अब मै घाट के आसपास की घुमक्कड़ी कर रहा था तो मैंने देखा बिलकुल घाट पे ही भोलेबाबा की एक प्रतिमा बनी जो की मुझे बहुत सुन्दर लगी मैंने उसे अपने कैमरे में कैद किया और आगे देखा वहां एक भोले बाबा का मंदिर भी है मैने मंदिर में जाके भोलेबाबा की शिवलिंग और नंदी के दर्शन किये अबी बिलकुल शाम हो चुकी थी मेरी कन्नौज यात्रा में एक महत्वपूर्ण मंदिर माँ अन्नपूर्णा मन्दिर छूट गया था मैंने माँ अन्नपुर्णा से क्षमा मांगी और निकल पड़ा अपने घर की ओर हालाँकि मेरा यह यात्रा वृतांत अभी अधूरी है अबकी जब भी मेरा कन्नौज की तरफ जाना होगा मै माँ अन्नपूर्ण देवी मंदिर जरोर जाऊंगा और दुबारा से इस पोस्ट को कम्प्लीट करूँगा |
रोचक वृतांत है।अच्छा लगा पढ़कर।
धन्यवाद