Jagannath Puri History in Hindi | जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास
भगवान विष्णु के चार धाम में से जगन्नाथ पुरी एक है जो की उड़ीसा राज्य के पुरी नामक जगह पर है जो की उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है इस धाम को धरती का वैकुण्ठ कहा जाता है आज की Jagannath Puri History in Hindi पोस्ट में हम आपको जगन्नाथ मन्दिर के पौराणिक इतिहास के बारे में बताएँगे |
उससे पहले यह जान लीजिये की इस स्थल पर भगवान श्री कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र ( जिनको हम बलराम के नाम से भी जानते है ) के साथ सुशोभित है बेशक हर साल लाखो की संख्या में भक्त यहाँ दर्शन हेतु आते है |
Jagannath Puri History in Hindi – जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास
हर एक मन्दिर की अपनी कोई न कोई पौराणिक कहानी जरूर होती है तो इस पवित्र धाम की भी कोई न कोई कहानी जरूर होगी आज हम आपको उन्ही सब कहानियो से रूबरू कराएँगे |
सबसे पहले आप जगन्नाथ पुरी के अन्य नामो को भी जान ले क्यूंकि पौराणिक इतिहास में कई जगह हम इसके अन्य नाम की बात करेंगे दखिये इसे नीलांचल , नीलगिरी , श्रीक्षेत्र , शक क्षेत्र और श्री पुरुषोतम क्षेत्र के नाम से भी जानते है |
एक किद्वंती के अनुसार जगन्नाथ पुरी ( नीलगिरी ) में पुरुषोत्तम राम की पूजा की जाती है वही स्कन्द पुराण में नीलमाधव का उल्लेख किया गया है कहा जाता है कि इस स्थान पर श्रीहरि ने नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था और यही नीलमाधव सबर कबीले के पूज्यनीय देवता बने थे |
मत्स्य पूरण में बताया गया है की श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र मतलब जगन्नाथ पुरी में विमला देवी की पूजा की जाती है , स्कन्द पुराण में इस स्थान के विस्तार को बताया गया है जैसे की यह स्थल पहले 5 कोस में फैला था अब इसका 2 कोस बंगाल की खाड़ी में समां गया है |
अच्छा उत्तराखंड जो की रामायण का एक खंड है की बात करे तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अपने कुल देवता श्री जगन्नाथ जी की पूजा अर्चना करने के लिए लंका के राजा रावण के भाई विभीषण को बोला था आप कभी जगन्नाथ पुरी गए होंगे तो तो आपने श्री मंदिर में विभीषण से सम्बंधित जानकारी देखी होगी |
राजा इंद्रदयुमन से सम्बन्धित जगन्नाथ पुरी की पौराणिक कथा – Jagannath Puri History in Hindi
अब आपको सबसे प्रचलित कहानी के बारे में बताने जा रहे है जो मालवा के राजा इंद्रद्युमन से सम्बन्धित है , राजा इंद्रदयुमन के बारे में कई ग्रंथो में लिखा हुआ है एक वार की बात है श्री विष्णु ने राजा को सपने में दर्शन दिए |
और कहने लगे की नीलांचल के पहाड़ पर मेरी एक मूर्ति है जिसे नीलमाधव के नाम से जाना जाता है तुम उस मूर्ति को लाकर एक मंदिर बनवाकर उसमे स्थापिर कर दो |
अब क्या था राजा इंद्रदयुमन ने नीलांचल में उस मूर्ति की खोज शुरू कर दी राजा ने कुछ लोगो को उस मंदिर की खोज में भेजा था जिसमे एक विद्यापति नाम का सैनिक भी था जिसे यह जानकारी भी थी की सबर जाती के लोग नीलमाधव की पूजा अर्चना करते है |
उधर सबर कबीले के मुखिया विश्ववसु ने नीलमाधव की मूर्ति को को किसी गुफा में छुपाकर रखा था , उस मूर्ति का स्थान जानने हेतु विद्यापति ने विश्ववसु की बेटी से विवाह कर लिया और अपनी चतुराई से आखिरकार नीलमाधव की मूर्ति को खोजने में सफल हो गया और मूर्ति को ले जाकर राजा इंद्रदतुमन को दे दिया |
अब मूर्ति चोरी होने से विश्ववसु अत्यंत दुखी हो गया यह देख भगवान पुनः उस गुफा में लौट आये और राजा इन्द्रद्युमन से कहा की तुम मेरा एक विशाल मंदिर बनवाओ मै पुनः लौट आऊंगा अब क्या था राजा ने एक विशाल मंदिर बनवाकर भगवान से आने का अनुरोध किया |
Jagannath Puri History in Hindi जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास
भगवान ने राजा से कहा की एक पेड़ का टुकड़ा जो की द्वारिका से तैरता हुआ पुरी आ रहा है उसको लेकर आओ और उससे मेरी मूर्ति बनवाओ राजा के सैनिको ने वह पेड़ का टुकड़ा खोज तो लिया |
परन्तु उसे उठा नहीं पाए अब राजा ने सबर जाति के मुखिया विश्ववसु से सहायता मांगी और हर एक इंसान तब अचरज में पड़ गया जब विश्ववसु अकेले ही उस पेड़ के टुकड़े को उठाकर मंदिर तक ले आया |
अब समय आया की उस पेड़ के टुकड़े से मूर्ति बनाई जाए राजा ने अपने कुशल कारीगरों को इस कार्य के लिए भेजा परन्तु एक भी कारीगर उस टुकड़े में छेनी तक मारने में असफल रहा |
तब सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड के कुशल कारीगर देवता विश्वकर्मा जी एक बुजुर्ग व्यक्ति का भेष लेकर राजा इंद्रदयुमन के पास आकर बोले की मै नीलमाधव की मूर्ति बना दूंगा लेकिन उनकी शर्त थी की वे इस मूर्ति को 21 दिन में बनायेंगे और अकेले में इसलिए जब वो मूर्ति बना रहे हो कोई भी व्यक्ति उन्हें न देखे राजा ने उनकी इस शर्त को मान लिया |
काम शुरू हो गया सबको औज़ारो की आवाजे सुनाई दिया करती थी लेकिन शर्त के अनुसार कोई वहां जाता नहीं था लेकिन रानी गुंडीचा उत्सुकतावश वहां पहुँच गई जहाँ पर वो बुजुर्ग कारीगर मूर्ति बना रहे थे लेकिन ये क्या उस कमरे के पास आते ही रानी की किसी भी प्रकार की कोई आवाज ही सुनाई नहीं दी |
रानी को लगा कि कही ये बुजुर्ग कारीगर बीमार तो नहीं या कोई अनहोनी तो नहीं हो गई उसके साथ रानी ने तुरंत ही यह खबर राजा तक पहुचाई राजा को भी किसी अनहोनी की आशंका सताने लगी तो उसने अपने सैनिको को वह दरवाजा तोड़ने का आदेश दे दिया |
जैसे ही दरवाजा खुला सब चकित रह गए वो बुजुर्ग कारीगर गायब था और तीन मूर्तियाँ वहां मौजूद थी जो की अधूरी थी राजा इंद्रदयुमन ने भगवान की यही इच्छा मानकर उन तीनो मूर्तियों को मंदिर में स्थापित कर दिया हालाँकि कई जगह यह भी जानकारी मिली कि वह बुजुर्ग गायब नहीं हुआ था |
अच्छा कुछ मतों के अनुसार कहा जाता है की भगवान ब्रम्हा श्रीकृष्ण के शारीर में विदमान थे और जब श्रीकृष्ण की मृत्यु हुई तो उस समय पांडवो में प्रभु श्रीकृष्ण के शारीर का दाह संस्कार तो कर दिया दिया लेकिन कृष्ण जी का दिल जलता ही रहा था |
भगवान के आदेश के अनुसार पांडवो ने श्रीकृष्ण के दिल (पिंड) को जल में प्रवाहित कर दिया और वही पिंड एक लकड़ी का लट्ठा बन गया और यही लट्ठा राजा इंद्रदयुमन को मिला था |
जगन्नाथ पुरी का मंदिर किसने बनवाया
देखिये इस मन्दिर के निर्माण के विषय में भी कई मत है चलिए जो हमको जानकारी है वो आप सबको बता देते है |
ताम्र पत्रों का एक अन्वेषण किया गया जिनके फलस्वरूप यह जानकारी मिली कि जगन्नाथ पुरी के मंदिर को कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने शुरू करवाया था जो की गंग वंश के राजा थे और इस मंदिर का निर्माण 10 वी शताब्दी में शुरू हुआ था उसके बाद मन्दिर का अंतिम स्वरुप उड़ीसा के राजा अनंग भीम देव जी ने कराया |
सन 1558 में ओड़िसा पर एक अफगानी शासक काला पहाड़ ने हमला कर दिया जिसमे जगन्नाथ मन्दिर के कई भाग क्षतिग्रस्त हो गए थे और पूजा भी बंद करवा दी गई थी तब मूर्तियों को बचाने हेतु मूर्तियों को चिलिका झील में एक द्वीप पर छुपा दिया गया था इसके उपरांत जब रामचन्द्र देब ने राज्य को आज़ाद कराया फिर इन पवित्र मूर्तियों को पुनः मंदिर में स्थापित किया गया |
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जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास से सम्बन्धित प्रश्न
जगन्नाथ पुरी मंदिर ओड़िसा राज्य में है |
जगन्नाथ पुरी मंदिर ओड़िसा राज्य के पुरी शहर में है |
जगन्नाथ पुरी मंदिर भगवन जगन्नाथ मतलब श्रीकृष्ण को समर्पित है |
भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण , बलराम और सुभद्रा की |
जगन्नाथ पुरी से जुडी हुई समस्त पौराणिक कथाओ को हमने इस पोस्ट में लिखा हुआ है आप पढिये |
जगन्नाथ पुरी के मंदिर का निर्माण कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने शुरू करवाया था उसके बाद मन्दिर का अंतिम स्वरुप उड़ीसा के राजा अनंग भीम देव जी ने कराया |
जगन्नाथ पुरी मंदिर के इतिहास में कई पौराणिक कथाये है उनमे सबसे प्रमुख जो मालवा के राजा इंद्रद्युमन से सम्बन्धित है वो कथा है इसे विस्तृत में पढिये मेरे इसी लेख में |
निष्कर्ष
दोस्तों Jagannath Puri History in Hindi की पोस्ट में हमने आपको जगन्नाथ पुरी से जुडी हुई कुछ पौराणिक कहानियो के बारे में बताया और इस मंदिर का निर्माण कब किया गया इस बारे में भी बताया हुआ है |
यह जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास जो मैंने आपको बताया है यह प्राचीन ग्रंथो , पुराणों , पौराणिक अन्वेषणों से ली गई है अगर इसमें कोई त्रुटी हो तो हम क्षमा प्रार्थी है |