History of Kedarnath Temple in Hindi | केदारनाथ मंदिर का इतिहास
History of Kedarnath Temple in Hindi केदारनाथ एक ऐसा नाम जिससे भारत का रहने वाला लगभग हर व्यक्ति परिचित है यह पवित्र स्थल उत्तराखंड में है और 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है और यहाँ जाकर शिवजी के दर्शन करना किसी सौभाग्य से कम नहीं है |
यह मंदिर काफी उंचाई पर बना है , वैसे इस पोस्ट में हम केदारनाथ मंदिर की पौराणिक कथा केदारनाथ मंदिर का इतिहास जानेंगे |
History of Kedarnath Temple in Hindi – केदारनाथ मंदिर का इतिहास
आज की यह हमारी छोटी सी पोस्ट बस आपको यह जानकारी देने के लिए है कि आखिर केदारनाथ मंदिर का इतिहास क्या है क्यों यह स्थल इतना प्रसिद्ध है अपने देश में हर एक छोटे बड़े मन्दिर के पीछे कोई न कोई कथा-कहानी जरूर होती है |
इसी क्रम में बाबा केदारनाथ मन्दिर की भी कुछ पौराणिक कथाये है जो आज आपको हम बताने वाले है , यह बेहद ही अद्भुत मंदिर तीन औरो से पहाड़ो से घिरा हुआ है और यह धार्मिक महत्त्व के साथ साथ अपनी नैसर्गिक प्राकृतिक ख़ूबसूरती के लिए भी जाना जाता है |
केदारनाथ धाम की पौराणिक कथा – केदारनाथ मंदिर का इतिहास
विशाल हिमालय के आंचल में बना यह अति पावन मंदिर अपने में एक बड़ा सा इतिहास लिए हुए है कहने का मतलब यह धाम कई किद्वंती लिए हुए है तो आइये जानते है केदारनाथ मंदिर का इतिहास –
नर और नारायण से जुडी किद्वंती – History of Kedarnath Temple in Hindi
नर और नारायण जो की भगवान विष्णु के अवतार थे इन दोनों ने केदार पर्वत पर भोलेनाथ की तपस्या की थी जिससे भोलेबाबा प्रसन्न हुए और इन दोनों को दर्शन दिए और कोई भी वरदान मागने को कहा |
तब तब नर और नारायण ने भगवान शिव से ज्योतिर्लिंग के रूप में केदारनाथ में ही रहने का वरदान मागा था जिसे भोलेबाबा ने माना था और वो ज्योतिर्लिंग के रूप में यही बस गए थे |
पांडव से जुडी कहानी – History of Kedarnath Temple in Hindi
जब कौरव और पांडवो का युद्ध समाप्त हो गया था तो एक दिन श्री कृष्ण जी के साथ पांचो पांडव इस युद्ध के बारे में सोच रहे थे तब श्री कृष्ण जी ने बोला था की तुम लोग यह युद्ध को जरूर जीत गए हो लेकिन अपने भाई बंधुओ का विनाश करने का पाप तो तुम सब पर लगा ही है |
इस पाप से मुक्ति सिर्फ और सिर्फ भोलेबाबा ही करा सकते है अब क्या था पांडवो ने ठान लिया की अब सबसे पहले भगवान शिव को मनाया जायेगा और निकल पड़े भगवान शिव से मिलने इधर भोलेबाबा भी पांडवो से नाराज थे क्यूंकि इन लोगो ने अपने ही भाई बंधुओ का विनाश किया था |
लेकिन पांडव अब दृढ निश्चर कर चुके थे की भगवान शिव से मिलना ही है महादेव की तलाश में पांडव केदारनाथ आ गये अब महादेव ने सोचा अरे ये लोग तो यहाँ भी आ गए अब क्या करे |
तब तक महादेव को जानवरों का एक झुण्ड दिखाई दिया फिर क्या था महादेव ने एक बैल का रूप लिया और उस जानवरों के झुण्ड में शामिल हो गए अब पांडव फिर दुविधा में थे की इतने सारे जानवरों में महादेव रुपी बैल को कैसे पहचाना जाये |
फिर भीम ने दो पहाडियों पर पैर रखे और खड़े हो गए और बाकी जो पांडव थे उन्होंने जानवरों को भीम के पैरो के नीचे से भगाना शुरू किया सभी जानवर भागने भी लगे लेकिन शिव रुपी जो बैल था उसे भीम के पैर के नीचे आना उचित नहीं लगा |
अब पांडव भोलेबाबा को पहचान चुके थे तो वह महादेव रुपी बैल वही खड़े खड़े जमीन में धसने लगा यह देख भीम अपनी पूरी शक्ति से भागे और उस बैल का कुल्हा पकड़ लिया अब भोलेबाबा को मजबूरी वश प्रकट होना पड़ा और अपने दर्शन भी देने पड़े |
भोलेनाथ पांडवो के इस दृढ निश्चय से प्रभावित थे इसीलिए पांडवो को पापो से मुक्त किया यह History of Kedarnath Temple in Hindi की दूसरी प्रचलित किद्वंती थी |
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केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया
देखिये दोस्तों इस धाम को बनवाने की जानकारी का अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं है लेकिन कुछ कथाये जरूर प्रचलित है जो हम आपके नीचे बता रहे है –
एक किद्वंती के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजा भोज ने करवाया है जो की सन 1076 -1099 काल के थे यह जानकारी ग्वालियर की राजा भोज स्तुति के अनुसार है |
कुछ लोगो का कहना है की यह मंदिर पांडवो ने बनवाया है कहने का तात्पर्य की मूल मंदिर पांडवो ने बनवाया था परन्तु आज जो आप देख रहे है उसका निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था , या फिर उस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया हो |
जाने माने इतिहासकार डॉ शिव प्रसाद का कहना है की शैव लोग आदि गुरु शंकराचार्ये से पहले से केदारनाथ जाते रहे थे |
केदारनाथ मंदिर का इतिहास से सम्बन्धित प्रश्न –
केदारनाथ मन्दिर उत्तराखण्ड राज्य में है |
केदारनाथ मन्दिर रुद्रप्रयाग जनपद में है |
मन्दाकिनी
प्राप्त पौराणिक कथाओ के अनुसार केदारनाथ मंदिर का इतिहास दो कथाओ पर आधारित है एक तो नर और नारायण की कथा दूसरी पांडवो की कथा |
केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया इसका कोई मूल प्रमाण तो नहीं है परन्तु पौराणिक कथाओ के अनुसार आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर को बनवाया था वही एक एनी कथा की माने तो इस मंदिर का निर्माण पांडवो ने करवाया था तीसरी कथा के अनुसार राजा भोज द्वारा केदारनाथ मंदिर बनवाया गया है |
आठवी शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने बनवाया था वाही कुछ लोगो का मानना है कि 1076 से 1099 के मध्य इसे राजा भोज ने बनवाया था |
इसमें आपको नर और नारायण की कथा और पांडवो की कथा पढनी होगी जो की विस्तृत में इसी पोस्ट में मैंने बताई हुई है |
बर्फ़बारी के कारन |
निष्कर्ष
देखिये दोस्तों ये सब जो History of Kedarnath Temple in Hindi हमने आपको बताई वो सब पौराणिक कथा के आधार पर खैर केदारनाथ धाम हिन्दुओ के लिए आस्था का केंद्र है और हर हिन्दू जीवन में एक बार बाबा केदार के दर्शन करना अवश्य चाहता है |
इसीलिए हमने सोचा की अपने पाठको को केदारनाथ मंदिर का इतिहास बता दिया जाय तो यदि यह पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो कमेंट करके बताये |