History of Amer Fort in Hindi | आमेर के किले के इतिहास से जुड़ी जानकारी
History of Amer Fort in Hindi की इस पोस्ट में हम राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक जाने माने किले आमेर के इतिहास की बात करेंगे और जानेंगे कि आमेर का किला किसने बनवाया , कब बनवाया और इसके पीछे की सारी ऐतिहासिक कहानी जयपुर में घूमने के बहुत से विकल्प है और उनमे से आमेर एक बेहतरीन विकल्प है |
History of Amer Fort in Hindi – आमेर का इतिहास
आमेर किले के इतिहास से पहले यह भी जान ले की यह सुप्रसिद्ध किला जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर है और अरावली की पहाडियों पर बना हुआ है |
सच मानिए इस किले की बेजोड़ वास्तुकला देखकर आप खुश हो जायेंगे और एक बार वाह जरूर बोलेंगे अच्छा इसे अम्बर का किला भी कहते है इस किले का इतिहास गौरवपूर्ण है |
आमेर के किले का निर्माण किसने करवाया
अधिकतर लोग जानना चाहते है की आखिर इतने भव्य और अद्भुत किले को बनवाया किसने तो आप को बता दे आप जो आज आमेर का किला देख रहे है उसको बनवाने का श्रेय राजा मानसिंह प्रथम , राजा सवाई सिंह और मिर्ज़ा जयसिंह को जाता है |
इसके अलावा यह भी सुनने में आता है इन सब राजाओ से पहले इस दुर्ग को आमेर के ही स्थानीय मीणाओ ने बनवाया था |
तो इस दुर्ग का निर्माण का श्रेय राजा मान सिंह प्रथम को जाता है इसके बाद इस दुर्ग के कई तरह के सुधार हुए जो कि राजा सवाई सिंह और मिर्जा जयसिंह ने करवाए |
अम्बर के किले का निर्माण कब हुआ
मैंने कई जगह देखा तो इस दुर्ग के निर्माण काल के बारे में कई मत है जिनमे सबसे पहले आता है मीणाओ द्वारा बनवाया हुआ आमेर का किला जो कि 967 ईसवी में बना था तो अगर देखा जाय तो मूल रूप से आमेर का किला मीणाओ के चंदा वंश के राजा एलान सिंह ने बनवाया था |
अब 16 वी शताब्दी में राजा मान सिंह प्रथम ने पुराने अवशेषों पर दुबारा आमेर के किले का निर्माण करवाया इसके बाद वहां के राजा के जो उत्तराधिकारी थे वो इसमें संशोधन करवाते रहे सन 1727 में सवाई जय सिंह दृतीय ने अपनी राजधानी आमेर से जयपुर बना ली थी |
आमेर के इतिहास जे जुडी रोचक जानकारी – History of Amer Fort in Hindi
एक ऐतिहासिक कथा के अनुसार भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज दुलहराय जोकि सोढा सिंह के पुत्र थे ने 11वी सदी में रामगढ़ में मीणाओ और दौसा के बडगुजरो को परास्त किया था |
इन्ही के पुत्र थे कान्किल देव जिन्होंने सन 1207 में आमेर में मीणाओ को परास्त कर कछवाहा वंश को आमेर में स्थापित किया तबसे आमेर कछवाओ की राजधानी बन गया था जो की बाद में जयपुर में मिल गया |
अब History of Amer Fort in Hindi की एक अन्य कथा के अनुसार आमेर में पहले मीणाओ का राज था और वहां के राजा एलान सिंह थे , एलान सिघ के दयालु किस्म के राजा था उन्होंने एक असहाय राजपूत माता और उनके पुत्र को अपने राज्य में सहारा दिया |
कुछ समय बाद यही बच्चा ढोलाराय के नाम से जाना जाने लगा और मीणा राज्य का प्रतिनिधि बनकर ये दिल्ली गया अच्छा मीणा वंश की एक खासियत थी की ये लोग हमेशा अस्त्र शस्त्र साथ ही रखते थे तो इनको किसी भी चतुराई से हराना मुश्किल था |
लेकिन साल में दीवाली के दिन मीणा लोग आमेर में बने एक कुंड में बिना अस्त्र शस्त्र के स्नान करते थे और ये बात गुप्त रहती थी लेकिन एक बार इस बात को धोलाराय ने एक ढोल बजाने वाले को बता दी |
फिर क्या था ये बात राजपूतो में फ़ैल गई अब राजपूतो ने उन निहत्थे मीणाओ पर आक्रमण करके लाशो के ढेर लगा दिए इतिहास में यह कार्य अति निंदनीय था |
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आमेर या अम्बर नाम कैसे पड़ा
एक पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थल के पास स्थित एक पहाड़ी पर एक मंदिर है अम्बिकेश्वर जो की भगवान् शिव को समर्पित है इसी मंदिर से इस जगह का नाम अम्बर पड़ा |
एक अन्य कथा के अनुसार इस किले का नाम माँ अम्बा मतलब दुर्गा जी के नाम पर अम्बर पड़ा था इसके आलावा आमेर में एक मंदिर है संघी जूथारम वहा प्राप्त के शिलालेक्ख के अनुसार इसे पहले अम्बावती नाम से जाना जाता था |
बहुत से लोग इसे इछ्वाक वंश के राजा अम्बरीश के नाम से जोड़ते है एक बात और सुनने को मिलती है की कछवाहा वंश के राजा कान्किल देव ने इसका नाम आमेर रखा था |
आमेर के किले के इतिहास से सम्बन्धित प्रश्न – Questions About History of Amer Fort in Hindi
आमेर का किला राजस्थान में जयपुर जिले में है |
आमेर के किले को बनवाने में राजा मानसिंह प्रथम , राजा सवाई सिंह और मिर्ज़ा जयसिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है |
आमेर का किले का निर्माण राजा मान सिंह प्रथम द्वारा सन 1592 में करवाया गया था |
अमरगढ़ , अमरपुरा , अम्बावती
निष्कर्ष
आमेर के किले के बारे में हम चाहे जितना जानकारी एकत्र कर ले कम ही होगी क्यूंकि इसका इतिहास अत्यंत वृहद है देखिये मै कोई इतिहासकार तो नहीं फिर भी पूरा रिसर्च करके आप तक History of Amer Fort in Hindi की पोस्ट को पहुँचाया है यदि कोई त्रुटी हुई तो कृपया माफ़ करे और सुधार अवश्य करवाए |