चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ और 51 शक्तिपीठ मन्दिर लखनऊ घूमने की जानकारी
चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ और 51 शक्तिपीठ मन्दिर लखनऊ दो पावन स्थल
नमस्कार दोस्तों आज की पोस्ट में हम आपको रूबरू कराएँगे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के दो अत्यंत जाने माने मंदिरों से जिसमे से एक है चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ और दूसरा है 51 शक्तिपीठ मन्दिर |
दोनों मन्दिरों की अपनी अलग अलग महिमा है , एक और जहां माँ चन्द्रिका देवी मंदिर अत्यंत प्राचीन है वही 51 शक्तिपीठ मन्दिर अभी नया ही बना हुआ है हालाँकि 51 शक्तिपीठ के प्रांगण में आदिशक्ति माता भुइयां देवी मंदिर काफी पुराना है |
पर्यटन के लिहाज से लखनऊ जिला भी किसी से कम नहीं है इस शहर में अनेको पर्यटन स्थल है जो की देखने लायक है परन्तु आज हम लोग लखनऊ शहर से बाहर स्थित सीतापुर रोड के दो मन्दिरों के बारे में बात करने वाले है , लखनऊ वासियों के लिए माँ चन्द्रिका देवी धाम अनेको सालो से आस्था का पर्याय बना हुआ है |
चन्द्रिका देवी मन्दिर लखनऊ और 51 शक्तिपीठ मन्दिर लखनऊ कैसे पहुचे
दोनों धार्मिक स्थल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित है और यहाँ पहुचना अत्यन्त आसान है लखनऊ कैसे पहुचना है आदि की जानकारी हमारी पिछली पोस्ट https://safarjankari.com/places-to-visit-in-lucknow/ में आप पढ़ सकते है |
अच्छा ये दोनों मंदिर सीतापुर रोड पर ही है जब आप लखनऊ से सीतापुर की ओर जाओगे तो बिठौली क्रासिंग के समीप आपको 51 शक्तिपीठ मन्दिर मिलेगा और इसके और आगे जाने पर बक्शी का तालाब क्षेत्र में आपको चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ दिखाई पड़ता है , 51 शक्तिपीठ मंदिर बिलकुल सड़क के किनारे ही नंदना ग्राम में स्थित है और माँ चन्द्रिका देवी मन्दिर सीतापुर रोड से लगभग 6 किलोमीटर अन्दर कठवारा गाँव में स्थित है ||
51 शक्तिपीठ मन्दिर लिए आपको तमाम साधन मिल जायेंगे परन्तु चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ के लिए यदि आप अपने साधन से जाय तो ज्यादा अच्छा है क्यूंकि जो सीतापुर रोड से आपको 6 किलोमीटर अन्दर जाना होता है वहां आपको साधन की असुविधा हो सकती है वैसे अमूमन साधन चलते है पर कभी कभी यहाँ साधन आपको समय से नहीं मिलते है तो आप इस बात का ध्यान जरूर दे |
51 शक्तिपीठ मन्दिर लखनऊ – 51 Shaktipeeth Mandir
इस मन्दिर में जाने से पहले इसी मंदिर प्रांगण में बने आदिशक्ति माता भुइयां देवी मंदिर में जरूर जाये स्थानीय लोगो से पूछने पर पता चला की ये बहुत पुराना मंदिर है और नवरात्र के दिनों यहाँ भक्त भरी संख्या में माता भुइयां देवी के दर्शन हेतु यहाँ आता है और आदिशक्ति माँ के दर्शन करके अपने जीवन को धन्य बनाता है |
यह पूजनीय स्थल अत्यंत शांत है यहाँ आसपास बैठने के लिए कुर्सियां बनी हुई है इस स्थल पर आकर मन को सकून मिलता है , यहाँ संकट मोचन हनुमान जी , विघ्नहर्ता गणेश जी , माता दुर्गा जी , भैरव जी की पूजा अर्चना की जाती है |
आदिशक्ति भुइयां माता के प्राचीन मन्दिर में श्रद्धालु अपनी मनोकामना को पूर्ण करने हेतु चुनरी बांधते है और माता अपने भक्तो की मुरादे पूरी करती है यहाँ पर आदिशक्ति भुइयां माता पिण्डी के रूप में विद्दमान है |
चलिए अब बात कर लेते है जो 51 शक्तिपीठ मन्दिर बना हुआ है इस मंदिर का निर्माण अभी जल्द ही हुआ है , दोस्तों हमको 51 शक्तिपीठो के दर्शन हेतु भारत , पाकिस्तान , नेपाल , बांग्लादेश , श्रीलंका , तिब्बत आदि स्थानों पर जाना पड़ता था परन्तु अब भारत में उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ में एक ऐसे भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है जहां इन समस्त 51 शक्तिपीठ के दर्शन करे जा सकते हो |
इस मंदिर में 51 शक्तिपीठो की रज लाइ गई और उस रज से यहाँ पर मन्दिर का निर्माण हुआ है अन्य मंदिरों की तुलना में यह मन्दिर बहुत ही साफ़ सुथरा है , इस बहुमंजिला मंदिर में जो व्यक्ति सीढियां चढ़ने में असक्षम है उनके लिए लिफ्ट की भी व्यवस्था की गई है |
इस अद्भुत मन्दिर का श्रेय आशीष सेवा यज्ञ न्यास को जाता है जिसके इतने परिश्रम स्वरुप हमको एक ऐसा मन्दिर मिला जहां पर माता दुर्गा के समस्त शक्तिपीठो के दर्शन एक साथ सम्भव हो पाए , आखिरी मंजिल पर भगवान भोलेनाथ की स्फटिक की शिवलिंग स्थापित है जो की सफ़ेद रंग की अत्यंत सुन्दर दिखाई देती है |
जब हम समस्त 51 शक्तिपीठो के दर्शन करने के पश्चात सबसे आखिरी मंजिल पर पहुचे तो वहां का नजारा सच में अद्भुत था आप को अपने आप वहां भोले बाबा के होने का एहसास होगा बड़े से नंदी जी और उनके सामने बना भव्य मंदिर जिसमे सफ़ेद रंग की शिवलिंग हर भक्त का मन मोह लेती है |
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चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ
गोमती नदी के किनारे स्थित बक्शी का तालाब नमक क्षेत्र में बना यह माता का मन्दिर अत्यंत पुराना है और यहाँ श्रद्धालु भारी संख्या में आते है खासकर नवरात्र में तो यहाँ पर भक्तो का एक बहुत बड़ा हुजूम देखने को मिलता है यहाँ पर हर महीने अमावस्या के उपलक्ष्य में एक मेले का आयोजन किया जाता है तो देखा जाय तो नवरात्र , अमावस्या के दिन और छुट्टी वाले दिन मतलब रविवार को चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ कुछ ज्यादा ही भीड़ रहती है |
माँ चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ वाले रास्ते पर दोनों तरफ प्रसाद की दुकाने , खाने पीने की दुकाने , खिलोनो की दुखाने , घरेलु सामान की दुकाने सजी हुई रहती है यह भव्य मन्दिर एक ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ है , यहाँ मान्यता है की सुधन्वा कुण्ड के पास स्थित एक प्राचीन नीम के वृक्ष के कोटर में नौ दुर्गाओ के साथ उनकी वेदियाँ आज भी मौजूद है |
इस मन्दिर का प्रांगण बहुत विशाल बना हुआ है इसमें चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ का दरबार , एक विशाल हवन कुण्ड , एक बड़ी सी यज्ञशाला , बर्बरीक का द्वार , मही सागर संगम तीर्थ आदि पावन स्थल है इस स्थल पर भी मन्नत मागने हेतु चुनरी की गांठ बांधने की प्रथा है तो आप भी न चुके माँ चन्द्रिका देवी से अपने मन की मुराद अवश्य मागे |
अच्छा चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ की जो बात मुझसे सबसे ज्यादा पसंद आई है वो ये की इस माता के दरबार में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता है माता के मंदिर की पूजा अर्चना पिछड़ा वर्ग के मालियों द्वारा की जाती है यही नहीं भैरवनाथ मतलब पछुआ देव के स्थल की पूजा अनुसूचित जाति के पासियो द्वारा करवाई जाती है
माता का यह पावन स्थल तीन और से तो गोमती नदी से घिरा हुआ है और अगर ध्यान दे तो इसके एक और वही समीप में बना महीसागर संगम से घिरा हुआ है लो अब आप लोग सोच रहे होंगे की ये एक नया नाम आ गया मही सागर संगम तीर्थ तो इसके बारे में भी बता देता हु ये मुख्य के समीप ही बना हुआ है इसे सुधन्वा कुण्ड नाम से भी जाना जाता है |
स्कन्द पुराण के अनुसार यदि आप शनिवार के दिन की अमावस्या को मही सागर संगम तीर्थ सुधन्वा कुण्ड में स्नान कर दान करने से जो फल मिलता है वह पुष्कर में सात बार यात्रा , प्रयागराज की 8 बार यात्रा और प्रभाष की दस बार यात्रा के बराबर होता है , मही सागर संगम तीर्थ सुधन्वा कुण्ड का जल रोग विनाशक भी माना गया है इस कुण्ड में महादेव की एक बहुत बड़ी मूर्ति बनी हुई है , पर्यटन के लिहाज से भी सुधन्वा कुण्ड एक विशेष महत्त्व रखता है |
दोस्तों चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ का पावन स्थान धार्मिक होने के साथ साथ अत्यंत रमणीय भी है यहाँ का हरा भरा रास्ता और मही सागर संगम तीर्थ के पावन जल के अन्दर भगवान भोलेनाथ की बड़ी सी मूर्ति बड़ी मनोहर है , रास्ते में बने एक दूकान पर रुककर हमने चाय पी जो की हमको कुल्हड़ में दी गई कुल्हड़ की चाय का स्वाद की अलग होता है क्या कहे बस मजा आ गया था वो अदरक वाली चाय को कुल्हड़ में पीकर |
निष्कर्ष – Conclusion
आज हमने आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से लखनऊ जनपद के दो महत्वपूर्ण मन्दिर चन्द्रिका देवी मंदिर लखनऊ और 51 शक्तिपीठ मन्दिर दर्शन कराये , मुख्यतः ये दोनों पावन मन्दिर माता रानी को समर्पित है और लखनऊ पर्यटन को एक नये आयाम पर पहुचाने का कार्य कर रहे है जहां चन्द्रिका देवी मंदिर ना जाने कितने समय से अपने भक्तो की सारी मन्नते पूरी कर रहा है वही 51 शक्तिपीठ मंदिर एक आधुनिक ज़माने का आस्था , भक्ति से ओतप्रोत मन्दिर है तो आप कभी भी लखनऊ जाए तो इन दोनों धार्मिक स्थल अवश्य जाये |