Bhimashankar Temple History – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का इतिहास
Bhimashankar Temple History : हम इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी को महारास्ट्र स्थित 12 ज्योतिर्लिंग में से एक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के इतिहास के बारे में बतायेंगे और यह भी जानेंगे की भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर को किसने और कब बनवाया |
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 125 किलोमीटर की दूरी पर सह्याद्री पर्वत पर भोरगिरी गाँव में स्थित है इसी स्थल पर भीमा नदी का उद्गम भी हुआ है , इस ज्योतिर्लिंग का शिवलिंग अत्यधिक मोटा है इसी कारण भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव भी जाता है |
Bhimashankar Temple History – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में एक कथा प्रचलित है और इस कथा का जिक्र शिव पुराण में है इस पौराणिक कथा की शुरुआत रामायण काल से होती है राक्षस कुलश्रेष्ठ लंका के राजा रावण को तो आप सब जानते ही है और रावण के साथ साथ आप उसके भाई कुम्भकर्ण को भी जानते होंगे |
कुम्भकर्ण अत्यधिक बलवान था कुम्भकर्ण की पत्नी कर्कटी थी , कुम्भकर्ण और कर्कटी के एक पुत्र था जिसका नाम भीम था , कर्कटी और उसका पुत्र भीम लंका में नहीं रहते थे वो लंका से दूर एक पर्वत पे रहते थे आपको यह भी जानकारी होगी की भगवान राम के हाथो कुम्भकर्ण का वध हुआ था |
बस इसी क्षण से कर्कटी ने अपने पुत्र को बलवान बनाने का निश्चय किया जिससे भीम बड़ा होकर अपने पिता की मृत्यु का बदला ले सके धीरे धीरे भीम बड़ा हो गया फिर एक दिन कर्कटी ने अपने पुत्र भीम को उसके पिता कुम्भकर्ण की मृत्यु के बारे में बताया बस उसी दिन से भीम बदले की आग में जलने लगा |
Bhimashankar Temple History in Hindi
भीम अपने पिता की मृत्यु का बदला लेना चाहता था और उसने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या शुरू कर दी और भीम के कठोर तप से भगवान ब्रह्मा प्रसन्न हुये और उसे वरदान दिया वरदान के फलस्वरूप भीम बहुत ही ज्यादा बलशाली हो गया था |
बस यही से भीम पाप करने लगा उसने स्वर्ग लोक पर आक्रमण किया और देवताओ को परास्त किया पृथ्वी पर पाप बढ़ने लगा यज्ञ , पूजा पाठ धार्मिक अनुष्ठान आदि बंद हो गए जहाँ भी किसी प्रकार की भी धार्मिक गतिविधि होती थी भीम उसे बंद करवा देता था |
अच्छा उस समय के राजा थे सुदक्षिण जो की कामरूप प्रांत में रहते थे राजा सुदक्षिण शिवजी के अनन्य भक्त थे भीम को जब यह बात पता चली तो उसने कामरूप प्रांत पर आक्रमण कर दिया और राजा सुदक्षिण को परास्त कर दिया और राजा सुदक्षिण को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया |
Bhimashankar Temple History in hindi
इधर सभी देवता ऋषि मुनि असुर भीम के अत्याचार से परेशान होकर शिवजी के पास गए और उनसे विनती की कि इस असुर भीम के अत्याचार के सभी की रक्षा करे शिवजी ने सभी को आश्वासन दिया की जल्द ही भीम के पापो का घड़ा भरेगा और उसका अंत होगा |
इधर भीम की कैद में राजा सुदक्षिण ने कारागार में ही एक शिवलिंग बनाया और उसकी पूजा करने लगे राजा सुदक्षिण को देखकर अन्य कैदी भी शिवजी की पूजा करने लगे जब यह बात असुर भीम की जानकारी में आई तो वो आग बबूला हो गया |
भीम राजा सुदक्षिण का वध करने के लिये कारागार में आया उसने सबसे पहले शिवलिंग पर अपनी तलवार से प्रहार किया लेकिन उसकी तलवार शिवलिंग का स्पर्श तक नहीं कर पाई और तभी उसी शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट हुये उनके तेज से ही असुर भीम जलकर राख हो गया इस प्रकार भीम के पाप से सम्पूर्ण जगत आज़ाद हुआ |
भीम के वध के बाद सभी देवी देवताओ ने ऋषि मुनियों ने भगवान भोलेनाथ से आग्रह किया कि हे भोलेनाथ आप जग कल्याण हेतु इसी शिवलिंग में वास करे भगवान भोलेनाथ ने सबकी बात का माँन रखा और उसी शिवलिंग में स्थापित हो गए तब से यह शिवलिंग भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहलाता है |
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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की किसने बनवाया था
देखिये इस ज्योतिर्लिंग के सम्बन्ध में जो पौराणिक कथा थी वो हमने आपको बता दी अब बात करते है इतिहास की इतिहास से प्राप्त जानकारी के अनुसार मराठा शिरोमणि छत्रपति शिवाजी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था और इस मंदिर के शिखर का निर्माण दुबारा से मराठा पेशवा नाना फड़नवीस ने करवाया था |
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का निर्माण कब हुआ
इस बात के कोई पुख्ता सबूत तो नहीं है लेकिन इस मंदिर का निर्माण 13वी सदी में हुआ था फिर 18वी सदी में इसके शिखर को पेशवा नाना फड़नवीस ने बनवाया था |
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के इतिहास से सम्बन्धित प्रश्न
भीमाशंकर एक ज्योतिर्लिंग है जो की 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है |
महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 125 किलोमीटर दूर भोरगिरी गाँव में |
भीमा नदी |
सह्याद्री पर्वत
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सबसे पहले मराठा वीर छत्रपति शिवाजी ने फिर इसके शिखर को नाना फड़नवीस ने बनवाया था |
इतिहास के माने तो 13वी सदी में |
Bhimashankar Temple History रामनयण काल में कुम्भकर्ण था उसके बेटे भीम से जुड़ी है