History of Badrinath Temple in Hindi – बद्रीनाथ की कथा , इतिहास
History of Badrinath Temple in Hindi की इस पोस्ट में हम आपको उत्तराखण्ड के एक जनपद चमोली में स्थित बद्रीनाथ धाम की पौराणिक कथाओ के बारे में बताएँगे इस पावन मन्दिर को हर कोई जानता है इसे हम बद्रीनारायण मन्दिर भी कहते है |
यह चार धाम में से एक है , यह पूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है , आज की पोस्ट History of Badrinath Dham में हम इस स्थल के इतिहास और कथाओ से रूबरू होंगे |
History of Badrinath Temple in Hindi – बद्रीनाथ की कथा
निसन्देह भारत के धार्मिक स्थलों में बद्रीनाथ मंदिर एक विशेष महत्त्व रखता है यहाँ आप आध्यात्मिक वातावरण के साथ-साथ प्रकृति की नैसर्गिक सुन्दरता से भी रूबरू होते है , यहाँ का जो मुख्य मन्दिर है उसमे एक लगभग 3.3 फिट की शालिग्राम की प्रतिमा है जो की बद्रीनाथ जी को समर्पित है और अत्यन्त सुन्दर है |
हम सभी जानते है हर एक मन्दिर की अपनी एक कहानी होती है अपना एक इतिहास होता है इसी क्रम में बद्रीनाथ धाम का भी अपना एक इतिहास है जिसे हम History of Badrinath Temple in Hindi की पोस्ट में जानने का प्रयास करेंगे |
बद्रीनाथ धाम की पौराणिक कहानी और इतिहास
अच्छा अगर हम बद्रीनाथ धाम मन्दिर के इतिहास की बात करे तो वैदिक शास्त्र में इस पवित्र मन्दिर का उल्लेख मिलता है |
बद्रीनाथ धाम की पौराणिक कथाये – History of Badrinath Temple in Hindi
देखिये बद्रीनाथ धाम से सम्बन्धित कई पौराणिक कथाये प्रचलित है जो हम आज आपको बद्रीनाथ की कथा में बताने वाले है हालाँकि इन पौराणिक कथाओ का कोई ठोस साक्ष्य नहीं होता लेकिन भगवान किसी साक्ष्य के मोहताज भी नहीं होते है तो आइये शुरू करते है –
भगवान विष्णु के बालरूप से सम्बन्धित बद्रीनाथ की कथा
यहाँ मान्यता है की एक बार भगवान विष्णु तप करने के लिए पृथ्वी पर एक उचित स्थान देख रहे थे तो उनको अलकनंदा नदी के किनारे एक स्थल अच्छा लगा लेकिन यह स्थल भोलेनाथ का था |
यही विष्णु जी बाल रूप में अवतरित हुए और जोर जोर से रोने लगे , भगवान विष्णु के बालरूप का इस तरह से रोना देख देवी पार्वती विचलित हो गई और फिर महादेव के संग देवी पार्वती भगवान विष्णु के बालरूप के सम्मुख प्रकट हो गये |
सम्मुख आकर उन्होंने उस बालक से रोने का कारण पूछा तो उसने ध्यान करने के लिए वह स्थान माँगा तो महादेव और माँ पार्वती ने वह स्थान उस बालक को दे दिया अब भगवान विष्णु तप में लीन हो गये |
तप के दौरान एक बार वहां अत्यधिक हिमपात हुआ भगवान श्रीविष्णु पूरी तरह से सफ़ेद बर्फ से ढक गए तब देवी लक्ष्मी बहुत परेशान हुई |
और देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु जी के पास आकर एक बेर ( बद्री ) के पेड़ में बदल गई और सारी बर्फ़बारी को अपने ऊपर सह लिया जिससे की विष्णु जी को तकलीफ न हो इस प्रकार कई वर्षो तक देवी लक्ष्मी ने धूप , वर्षा , हिम से तप करते हुए भगवान विष्णु की रक्षा की |
अच्छा जब भगवान विष्णु का तप समाप्त हुआ तो उन्होंने देखा की देवी लक्ष्मी बर्फ से ढकी हुई है तब विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा की जितना तप मैंने किया है उतना ही आपने भी किया है तो आज से इस स्थान पर मेरे साथ आपकी भी पूजा होगी |
और आपने बद्री का रूप लेकर मेरा बचाव किया है इसीलिये आज से यहाँ मेरा नाम बद्रीनाथ होगा मतलब आप बद्री हम आपके नाथ हुआ बद्रीनाथ इसीलिए इस मन्दिर का नाम बद्रीनाथ पड़ा |
मान्यता यह भी है की जिस स्थल पर विष्णु जी ने तप किया था वह वही तृप्त कुण्ड है जहाँ आज भी गरम जल रहता है और श्रद्धालु यहाँ स्नान कर लाभ उठाते है , तो इस बद्रीनाथ की कथा से हमको ये भी जानकारी मिली कि इस मन्दिर को बद्रीनाथ नाम क्यों दिया गया |
यह भी पढ़े
दक्ष महादेव मन्दिर की पौराणिक कथा पढ़े
जानिये भारत के सात मोक्षदायिनी शहरो के बारे में
नर और नारायण से सम्बन्धित पौराणिक बद्रीनाथ की कथा
एकबार एक दानव ने सूर्य देव की तपस्या की और वरदान लिया कि जब कोई हजारो वर्ष तप करेगा तभी वो मेरा एक कवच तोड़ पायेगा और ऐसे 1000 कवच उसने वरदान में मांगे और उस दिन से उस दानव का नाम सहस्त्रकवच पड़ गया |
लोक कथा के अनुसार भगवान ब्रम्हा जी के ह्रदय से उतपन्न हुए थे महाराजा धरम और इन्ही महाराजा धरम के पुत्र थे नर और नारायण जो की विष्णु जी के अवतार थे |
कहा जाता है सतयुग में बद्रीनाथ धाम के समीप महात्मा नर और नारायण ने कई हजार वर्ष तपस्या की थी , वतर्मान में इस स्थल को नर और नारायण पर्वत कहते है |
कहते है की नर और नारायण को कठोर तप से देवताओ के राजा इन्द्र का सिंघासन हिलने लगा था , अब इन्द्र देव को लगा कि यह दोनों देव लोक पाने के लिए यह तप कर रहे है तो उन्होंने अपने लोक की अप्सराओ को नर और नारायण का तप भंग करने के लिए भेजा लेकिन वो सब असफल रही |
अच्छा हमने जितना भी रिसर्च किया सहस्त्रकवच का नाम लगभग सभी पौराणिक कथाओ में मिला तभी हमने अपनी History of Badrinath Temple in Hindi की पोस्ट में इसे सम्मिलित किया |
उधर जब सहस्त्रकवच को नर नारायण के बारे में पता चला तो वह इन दोनों तपस्वियों का तप भंग करने तप स्थल आ पंहुचा अच्छा आपको बता दे की जहाँ नर नारायण तप कर रहे थे वह पृथ्वी का एक मात्र ऐसा स्थल है जहाँ एक दिन तप करके 1000 साल तप करने का पुण्य मिलता है |
इसलिये एक दिन नारायण सहस्त्रकवच से युद्ध करते और नर तप करते और उसका एक कवच तोड़ देते फिर अगले दिन नर सहस्त्रकवच से युद्ध करते तो नारायण तप करते थे इस तरह सहस्त्रकवच के 999 कवच टूट गए |
अब सहस्त्रकवच सूर्य देव के पास चला गया और उसने अपना बचाव कर लिया , बद्रीनाथ मन्दिर की ये विभिन्न पौराणिक कथाये एक दूसरे से जुड़ी हुई है |
भगवान राम से जुड़ी बद्रीनाथ की कहानी
अब जब त्रेतायुग में श्री राम अवतरित हुये तो उन्होंने अपने परम भक्त हनुमान जी को बद्रीआश्रम आने को कहा था और हनुमान जी हनुमान चट्टी नाम की जगह पर तप किये थे |
भगवान श्री कृष्ण से जुडी बद्रीनाथ की कहानी
अब द्वापरयुग में सतयुग के नर और नारायण का फिर से अवतार हुआ श्री कृष्ण और अर्जुन के रूप में , और दानव सहस्त्रकवच जिसे सूर्य देव ने उस समय बचाया था इस बार वो कर्ण के रूप में जन्म लिया था और उसका वध अर्जुन ने किया |
दोस्तों अगर आप ने ध्यान दिया होगा तो ऊपर की समस्त पौराणिक कथाये (History of Badrinath Dham) एक दूसरे से जुड़ी हुई है |
बद्रीनाथ धाम से जुड़े कुछ प्राचीन मत बद्रीनाथ धाम का निर्माण किसने करवाया
बद्रीनाथ मन्दिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था लेकिन यह ऐसी जगह पर है कि कही हिमपात कही भूकम्प तो यह मन्दिर कई बार क्षतिग्रस्त हुआ |
गढ़वाल के राजाओ ने बद्रीनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण 17वी सदी में किया लेकिन यहाँ फिर से भूकंप आया और मन्दिर का काफी हिस्सा टूट गया तब सन 1803 में जयपुर के महाराजा ने करवाया था |
बद्रीनाथ मन्दिर की पौराणिक कथाओ से सम्बन्धित प्रश्न –
श्री बद्रीनाथ मन्दिर उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में है |
जी हाँ बद्रीनाथ चार धाम में से एक धाम है |
श्री बद्रीनाथ मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित मन्दिर है |
श्रे बद्रीनाथ धाम
इस मन्दिर की कई कहानिया है जिनका उलेख पोस्ट में किया गया है आप पोस्ट पढ़े आपको सभी जानकारियां मिल जाएँगी |
श्री बद्रीनाथ धाम में शालिग्राम पत्थर से बनी भगवन बद्रीनारायण की मूर्ति है |
बद्रीनाथ चमोली जिले में है |
नर और नारायण पर्वत बद्रीनाथ धाम के समीप स्थित है |
भगवान नर और नारायण ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म की संतान थे और श्री विष्णु के अवतार थे |
नर और नारायण की माता का नाम रूचि था |
नर और नारायण पर्वतो के मध्य श्री बद्रीनाथ धाम स्थित है |
बद्रीनाथ धाम के निर्माण की शुरुआत आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी लेकिन भविष्य में यह मंदिर क्षतिग्रस्त हुआ तब इसका पुनर्निमाण गढ़वाल करजो द्वारा करवाया गया यह फिरसे क्षतिग्रस्त हुआ फिर इसका पुनर्निर्माण जयपुर के महाराजा ने करवाया |
निष्कर्ष
हमने History of Badrinath Temple in Hindi के बारे में लगभग सब कुछ बता दिया फिर यदि कोई त्रुटि हुई हो या कुछ अधूरा हो तो उसके लिए क्षमा प्रति हूँ क्यूंकि लोक कथाये हमारी बहुत ही विस्तार से होती है फिर भी आप हमें कमेंट करके बता सकते है |
आपने बहुत ही अच्छे शब्दों और ज्ञान के द्वारा बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड की जानकारी दी है जिसे पढने से हमें इस जगह के महत्व का पता चलता है . हिन्दू धर्म में यह चार धाम में से एक मुख्य धाम है .
बहुत बहुत आभार
thank you