Yatra Vritant – यात्रा वृतान्त
Yatra Vritant का उद्देश्य
Yatra Vritant अपने आप में एक बहुत बड़ा शब्द है इसके बारे में यही कहूँगा की कुछ लोगो को तो घूमना पसन्द होता है अपना बैग पैक किये निकल लिये फोटो खीची और लौट आये लेकिन कुछ व्यक्ति ऐसे होते है जो घुमते है फोटो खीचते और घूमने वाली जगह के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी एकत्र करके एक लेख लिख देते है जिससे जो भी पाठक वह लेख पढता है उसे भी बड़ी ही काम की जानकारियां मिल जाती है |
लेखक Yatra Vritant को इस प्रकार लिखते है की जब आप पढोगे तो ऐसा ही लगता है की हम भी घूम रहे है हर एक चीज को विस्तृत में बयां किया जाता है जिससे पाठको में रोचकता बनी रहे , एक अच्छा यात्रा वृतांत वाही होता है जो पाठक को उस यात्रा को महसूस करा दे और पाठक उस जगह जाने के लिये भी लालायित हो जाये |
एक अच्छा यात्रा वृतांत पाठक को मानसिक रूप से तो घुमा ही देता है अच्छा हर इंसान घुमक्कड़ी होता है सबकी इच्छा कही न कही घूमने की होती न दूर तो पास ही सही और कुछ घुमक्कड़ अपनी यात्राओ को लिपिबद्ध कर देते है वही यात्रा वृतांत कहलाता है |
चलिए यात्रा वृतांत Yatra Vritant के उद्देश्य की बात कर ली जाये देखिये जिन व्यक्तियों को घुमक्कड़ी के साथ साथ साहित्य में भी रूचि होती है वो जहाँ भी घूमने जाते वहां का अपना सारा अनुभव एक लेख में संकलित कर देते है जिसका उद्देश्य पाठक को ट्रेवल के प्रति उस जगह के प्रति आकर्षित करना होता है जिससे पाठक को पढने में भी मजा आता है और उसकी इच्छा भी ट्रेवल के लिए बढ़ जाती है |
एक अच्छे यात्रा वृतान्त का उद्देश्य यात्रा की जगह के सामाजिक जीवन शेली से पाठको को रूबरू कराना होता है |
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मेरे यात्रा वृतान्त
प्रसिद्ध यात्रा वृतान्त
इस पेज में आपको मेरे यात्रा वृतान्त पढने को मिलेंगे मई कोई बड़ा लेखक नहीं ना ही मुझको साहित्य की ज्यादा जानकारी है लेकिन मै हर लेखक और साहित्य का बहुत सम्मान करता हूँ तो जाहिर सी बात है मेरे Yatra Vritant बहुत ज्यादा उच्च कोटि के तो नहीं होंगे लेकिन कोशिश करूँगा अपने हर एक यात्रा वृतांत में ज्यादा से ज्यादा जानकारी लिखू सच लिखू और लिखने की शैली मजेदार हो जिससे आप लोगो के चेहरे पर मुस्कान आये |
हिंदी साहित्य में यात्रा वृतान्त के लिए बहुत से लेखक जाने जाते है जिनमे भारतेन्दु हरिश्चन्द्र , बालकृष्काण भट्ट , प्रताप नारायन मिश्र , हरदेवी , श्रीधर पाठक , लोचन प्रसाद पाण्डेय , देवी प्रसाद खत्री , स्वामी सत्यदेव आदि नाम शामिल है | अच्छा Yatra Vritant के क्षेत्र का सबसे बड़ा नाम राहुल सांस्कृत्यायन जी का है इन्होने अपना जीवन देश विदेश की यात्राओ में ही व्यतीत कर दिया
Kannauj Attar Ka Shahar – यहाँ की गलियां भी महकती है और गट्टे में भी मिठास है
नाम तो बहुत सुना था और मेरे शहर से पड़ोस में है कन्नौज लेकिन कभी जाना नहीं हुआ था एक शाम को एकदम से सोचा क्यों न कन्नौज ही घूम आये पड़ोस में ही तो है तो बस कर ली तैयारी अरे तैयारी में क्या बस एक बोतल पानी सेनेटाईज़र मास्क आधार कार्ड बस , कन्नौज हमारे शहर हरदोई से महज 60 किलोमीटर है तो मैंने बस से जाने का तय किया और अगले ही दिन सुबह मै कन्नौज जाने वाली बस में था पड़ोस में एक व्यक्ति आके बैठ गए और थोड़ी ही देर में हमारी बस कन्नौज की और चल दी |
जो सज्जन पास बैठे थे उनसे मैंने थोड़ी हाई हेल्लो की तो पता चला की वो कन्नौज के ही निवासी है तो मैंने उनसे जानकारी मांगी की आपके शहर में क्या क्या घुमक्कड़ी की जा सकती है तो उन्होंने मुझे बाबा गौरी शंकर मन्दिर , फूलमती देवी मन्दिर , जयचंद का किला , मेहंदी घाट , माँ अन्नपूर्णा देवी मंदिर, , मखदूम जहानिया का नाम बताया अब मै ठहरा भुलक्कड़ तो ये सब मैंने मोबाइल में ही नोट कर लिया बस अब मै Kannauj Attar के शहर के आने का इंतज़ार करने लगा |
Ram Asrey Sweets Hazratganj Lucknow Aur Bajpai Kachori Bhandar
Ram Asrey Sweets Hazratganj Lucknow Aur Bajpai Kachori Bhandar Ye Dono Shop Uttar Pradesh Ki Rajdhani Lucknow me Hai . राम आसरे स्वीट्स और बाजपेयी कचौड़ी भण्डार ये दोनों स्वाद के ठिये लखनऊवासियों के लिए तो जाने माने है इसके अलावा जो भी घुमक्कड़ी भाई बंधु तहजीब के शहर जरूर जाए लखनऊ घूमने आये तो वो भी इन दोनों खाने के अड्डो पर भी जरूर जाए |
Lko Me Ghumne Ki Jagah गोमती नदी के मध्य बना गोमेश्वर शिव मन्दिर
Lko Me Ghumne Ki Jagah में हम आपको शहर लखनऊ के एक ऐसे मन्दिर के दर्शन कराएँगे जो गोमती नदी के मध्य बना हुआ है इस मंदिर का नाम गोमेश्वर शिव मन्दिर है और रोचक बात ये की इस मन्दिर में जाने के लिए हमें नाव का सहारा लेना होता है कुल मिलाके आप कह सकते हो की हम इस शिव मंदिर तक नाव में बैठकर जायेंगे क्यूंकि यह गोमती के मध्य एक टापू पर है इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे की इस शिव मन्दिर तक कैसे पहुंचे नाव का किराया क्या है और यहाँ क्या क्या है |
एक कप चाय और घुमक्कड़ी का रिश्ता
एक कप चाय और घुमक्कड़ी का रिश्ता बहुत ही गहरा है दूसरो का तो पता नहीं लेकिन मेरी कोई भी घुमक्कड़ी बिन चाय के अधूरी है , और मेरी मानिये तो आप की घुमक्कड़ी की सारी थकान को चंद मिनटों में उड़न छू करने का दम रखती है सिर्फ एक कप चाय , यह पोस्ट एक वृतान्त की तरह ही है |
Vindhyachal Dham ki Meri Yatra
dhyachal Dham जाने का विचार अचानक ही बना था चलिये शुरू करते है विन्ध्याचल धाम का यात्रा वृतांत , मै अपने गृह जनपद हरदोई में अपने मित्र लैपटॉप के साथ बैठा हुआ था वही कोई शाम के 7 बज रहे थे मई का महिना था मेरे एक जानने वाले है पेशे से वो टीचर है और लखनऊ के रहने वाले है तो उनका फ़ोन आया की कल बनारस चलोगे मै तो घूमने के लिये हमेशा तैयार ही रहता हु तो मैंने हां बोल दी तो उन्होंने बताया की कल शाम 6 बजे वरुणा एक्सप्रेस से चलना है मैंने कहा ठीक मै पहुच जाऊंगा अगले दिन मैंने बैग पैक किया और त्रिवेणी एक्सप्रेस से लखनऊ पहुच गया मई शाम को ४:20 बजे चारबाग रेलवे स्टेशन लखनऊ में था |
Meri Pehli Hawai Yatra – पहली हवाई यात्रा
पहली हवाई यात्रा के उत्साह, रोमांच, थोड़ा सा डर, जिज्ञासा से मन उथल पुथल हो रहा था जैसे तैसे चारबाग रेलवे स्टेशन पर पहुँचा, लखनऊ चारबाग सुबह 9 बजे ही पहुँच गया था जबकि मेरी गोवा की फ्लाइट शाम 5:30 पर थी खैर अपने एक रिश्तेदार के घर चला गया चाय नाश्ता खाना पीना करके कुछ आराम की और 3 बजे फिर आ गया चारबाग और पहुँच गया मेट्रो स्टेशन वाकई मे लखनऊ की मेट्रो के स्टेशन देखते ही बनते है, टिकट काउंटर पर जाकर लखनऊ एयरपोर्ट की टिकट ली और चल पड़ा जैसे ही प्लेटफॉर्म पर पंहुचा मेट्रो रेल आ चुकी थी मुझे तो जल्दी थी ही फटाफट चढ़ गया वाकई मे साफ़ सफाई नज़र आ रही थी मेट्रो मे, मेरा मेट्रो का सफर भी शानदार रहा |