विंध्याचल मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी
विंध्याचल मंदिर
विंध्याचल मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित मिर्ज़ापुर जिले के एक कस्बे में है जिसकी मिर्ज़ापुर शहर से दूरी लगभग 7 किलोमीटर है विन्ध्याचल एक धार्मिक पर्यटन स्थल है जहां आपको माता दुर्गा के कई मंदिर देखने को मिल जायेंगे Maa Vindhyavasini Devi Mandir यहाँ का प्रमुख मंदिर है जो की एक शक्तिपीठ भी है इसके आलावा विन्ध्याचल में आप अष्टभुजी देवी मंदिर , काली खोह मन्दिर , सीता कुण्ड , विन्ध्याचल के गंगाघाट के भी दर्शन कर सकते है |
यह क़स्बा गंगा किनारे बसा हुआ है और बहुत ही शान्त है यहाँ आपको बस धार्मिक विचारधारा वाले लोग ही दिखाई पड़ते है हालाँकि यहाँ के मंदिरों में अत्यंत भीड़ देखने को मिलती है परन्तु विन्ध्याचल टाउन शांतिप्रिय जगह है विन्ध्याचल में आपको पहाड़ भी देखने को मिल जायेंगे परन्तु ये पहाड़ पठार होते आप इन्हें बर्फीले पहाड़ समझने की गलती न कर दीजियेगा |
विन्ध्याचल क़स्बा वैसे तो 51 शक्तिपीठो में से एक Maa Vindhyavasini Devi का निवास स्थान है और यहाँ का माहोल भी कुछ ऐसा प्रतीत होता है जैसे सच में माता सती यहाँ पर विराजमान हो पावन गंगा नदी इस स्थान की धार्मिक महत्वता को और भी बढाती है यहाँ के प्राकृतिक हरे भरे नज़ारे जिनमे पेड़ पौधों की हरियाली और पठार और इन पठारों के ऊपर बने मन्दिर भी आकर्षण का केंद्र रहते है |
How to reach Vindhyachal – विन्ध्याचल कैसे पहुचे
आपको विंध्याचल मंदिर के दर्शन हेतु मिर्ज़ापुर स्थित विन्ध्याचल पहुचना होगा यहाँ आना आसान है क्यूंकि यह स्थान भारत के प्रतिष्ठित धार्मिक शहर वाराणसी से महज 65 किलोमीटर और प्रयागराज से महज 85 किलोमीटर की दूरी पर है |
~ यदि आप रेलमार्ग से विन्ध्याचल आना चाहते है तो आपको बता दे की यहाँ का निकटतम एअरपोर्ट लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एअरपोर्ट बाबतपुर वाराणसी में स्थित है जिसका IATA कोड VNS है आपको भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरो से यहाँ के लिए फ्लाइट मिल जाएगी और यहाँ से आप विन्ध्याचल बस द्वारा , ट्रेन द्वारा या फिर आप कोई बी कार या ऑटो बुक करके जा सकते है |
~ यदि आप रेलवे मार्ग से विन्ध्याचल आना चाहते है तो आपको बता दे की यहाँ पर एक रेलवे स्टेशन है जिसका कोड BDL है इस रेलवे स्टेशन पर मुम्बई और देलही – हावड़ा रूट की तमाम ट्रेन रूकती है फिर भी आप इन्टरनेट के माध्यम से पता कर ले की आपके शहर से कोई ट्रेन सीधे विन्ध्याचल जाती है या नहीं यदि आपके शहर से कोई भी ट्रेन Maa Vindhyavasini Devi धाम विन्ध्याचल के लिए नहीं है तब भी कोई परेशानी की बात नहीं है आप मिर्ज़ापुर , वाराणसी , प्रयागराज इनमे से कही भी पहुच जाये उसके बाद आराम से आप विंध्याचल मंदिर आ सकते है |
~ यदि आप सड़क मार्ग से यहाँ आना चाहते है तो यह स्थान भारत के सभी शहरो से अच्छी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है बड़ी आसानी से आप यहाँ आ सकते है यहाँ के निकटतम शहर मिर्ज़ापुर , वाराणसी , प्रयागराज है |
कहा रुके – Where to stay
विंध्याचल मंदिर का यह पवित्र स्थान कोई बड़ी जगह नहीं है परन्तु माँ जगदम्बा का एक पावन शक्तिपीठ होने के कारण यहाँ पर माता के भक्तो का ताँता लगा रहता है इसीलिए यहाँ पर आपको तमाम धर्मशालाए और होटल मिल जायेंगे जहां आप आसानी से रुक सकते है बाकी आप चाहे तो मिर्ज़ापुर , वाराणसी में भी रुक सकते है |
कहने का मतलब इतना ही है कि यहाँ पर ठहरने की कोई भी समस्या नहीं है वैसे अगर आप थोडा सा ध्यान दे और यहाँ सुबह ही पहुच जाये तो आप शाम 4-5 बजे तक यहाँ के सभी प्रमुख तीर्थ स्थान जैसे महा काली खोह मन्दिर , अष्टभुजी मन्दिर , सीता कुण्ड , गंगा घाट और Maa Vindhyavasini Devi mandir के दर्शन कर सकते है तो यहाँ रात बिताने की आपको आवश्यकता नहीं पड़ेगी फिर भी यदि आप की ट्रेन या जिस भी साधन से आते है वो शाम को या रात को यहाँ पहुचता है तब आप यहाँ रुक सकते है |
विन्ध्याचल ले पर्यटन स्थल
यह स्थान मुख्य रूप से एक धार्मिक स्थल है इसीलिए यहाँ पर आपको बस मन्दिर ही दिखाई देंगे मन्दिरों में भी खासकर माँ जगदम्बा के तीन मन्दिर यहाँ की पहचान है खासकर विंध्याचल मंदिर जो की 51 शक्तिपीठो में से एक शक्तिपीठ है और ये सारे मन्दिर आसपास ही है आप आराम से एक ही दिन में इनके दर्शन कर सकते है |
यदि आपको जाकारी है तो आप इन मंदिरों में अपनेआप जा सकते है वर्ना आप ऑटो बुक कर लीजिये ऑटो आपको सारे मन्दिरों के दर्शन करवाकर आपको रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड या फिर आपके होटल पर लाकर छोड़ देगा चलिए एक एक करके इन तीर्थ स्थलों के बारे में जानकारी कर ली जाये –
गंगा घाट
विन्ध्याचल क़स्बा पावन गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है इसी कारण इस स्थान की आस्था और भी बढ़ जाती है मुख्यता यहाँ आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले गंगा नदी के घाट पर डुबकी लगाकर अपने आप को धन्य करते है यहाँ गंगा घाट विंध्याचल मंदिर के समीप ही है अच्छा यहाँ आपको गंगा नदी के दोनों किनारों पर स्नान करने की सुविधा है |
यहाँ तमाम नाविक आपको गंगा नदी के दूसरे किनारे पर ले जाकर स्नान करवा सकते है और दोनों किनारों के बीच एक शिवलिंग भी है आप जैसे ही घाट के पास पहुचोगे आपको ये नावीक यही बोलेंगे की चलिए आपको शिवलिंग के दर्शन करा देंगे और इधर वाले घाट पर पत्थर बहुत ज्यादा है तो आप दुसरे किनारे पर स्नान करे |
ध्यान दे ये सब बेकार की बाते है आप जहां चाहे वहा स्नान करे घाट के समीप आपको छोटे छोटे तखत दिखाई देंगे वहां आप अपने कपडे सामान इत्यादि रख सकते है महिलाओ के लिए कपडे बदलने के लिए छोटे छोटे स्थान बनाये गये है जो की उच्च किस्म के नहीं है फिर भी वहां पर व्यवस्था है आसपास आपको गंगा जल ले जाने के लिए छोटी बड़ी बोतल-पिपिया मिल जाएँगी , यहाँ पर साफ़ सफाई अच्छी नहीं है गंगा किनारे सब तरफ गंदगी दिखाई देती है जो की सोचनीय है |
अच्छा यहाँ पर एक छोटा सा शनि मन्दिर भी है आप वहां भी दर्शन कर सकते है आपको गंगा घाट जाते समय तमाम भिखारी दिखाई देंगे आपकी श्रधा हो तो आप इन गरीब लोगो की भी मदद कर सकते है मेरा यही मानना है की जरूरतमन्द की मदद करना ही सबसे बड़ा पुण्य का काम है मै ये नहीं कहता की आप मन्दिरों में कुछ दान न दे परन्तु सम्भव हो तो आपको गरीबो की भी मदद कर देनी चाहिए जिससे विंध्याचल मंदिर की Maa Vindhyavasini Devi बिलकुल आपसे नाराज नहीं होंगी अपितु और ज्यादा प्रसन्न होंगी |
Maa Vindhyavasini Devi Mandir – विंध्याचल मंदिर
51 शक्तिपीठो में से एक शक्तिपीठ विंध्याचल मंदिर की Maa Vindhyavasini Devi की महिमा अपरम्पार है साल भर यहाँ श्रद्धालु माँ के दर्शन हेतु आते रहते है अत्यंत पवित्र स्थान है जब आप मंदिर जाओगे रास्ते में आपको मेला जैसा दिखाई देगा आपको रेस्टोरेन्ट , प्रसाद की दुकाने , बच्चो के खिलोंनो की दुकाने दैनिक इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओ की दुकाने दिखाई पड़ती है आप यहाँ से प्रसाद ले जिस दुकान से प्रसाद ले वही अपने चप्पल जूते रख सकते है इसके बाद आप चलते चले जाये कुछ दूरी चलने के बाद आपको यह शक्तिपीठ दिखाई देता है आप सच्चे मन से Maa Vindhyavasini Devi का नाम लेकर लाइन में लग जाए यहाँ भीड़ होती है तो थोडा धैर्य रखे |
लाइन में गर्मियों के समय में कूलर पंखे इत्यादि चला करते है आपकी दर्शन लाइन धीरे धीरे आगे बढ़ेगी और आखिर आप पहुच जाओगे माँ के दरबार में हाथ जोड़कर माता का आशीर्वाद ले यहाँ आपको बहुत ही कम समय मिलेगा मन्दिर प्रांगण में कुछ और मन्दिर भी है आप उनके भी दर्शन कर सकते है ध्यान दे यहाँ के पंडा लोगो से सावधान रहे यहाँ लूट खसोट चरम पर है जहां तक संभव हो आप पंडितो के बहकावे में ना आवे |
हमने जहां से प्रसाद लिया था उसी दुकान का एक पंडित हमारे साथ ही चल पड़ा उसने हम लोगो की दर्शन भी जल्दी करवा दिए परन्तु बाद में एक मोटी दक्षिणा की मांग करने लगा तो ये चीजे आप ध्यान दे |
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काली खोह मंदिर
विंध्याचल मंदिर के दर्शन के बाद आप जाइये महा काली खोह मन्दिर यह मन्दिर देवी काली को समर्पित है यहाँ भी जब आप जाओगे तो रास्ते में आपको प्रसाद , खिलोने इत्यादि की दुकाने दिखाई देंगी और फिर आगे मंदिर का प्रवेश द्वार और उसमे लगी लाइन दिखाई देती है आप लाइन में लग जाइए यहाँ आपको सबसे पहले श्री भद्र काली मंदिर पड़ेगा फिर हनुमान मन्दिर , शिवलिंग फिर प्रमुख मूर्ति दिखाई देगी जिसके आप दर्शन करे और बाहर निकल आये यह मंदिर प्रांगण सुर्ख लाल रंग का बना हुआ है यहाँ पर एक गज़ब का उत्साह भक्तो में दिखाई देता है इस मन्दिर के पड़ोस में ही सिद्धि दात्री माँ दुर्गा का भी मन्दिर है आप वहा भी दर्शन कर लीजिये |
अष्टभुजा मन्दिर
यह पावन अष्टभुजा मन्दिर विंध्याचल मंदिर से लगभग 3 -4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह मन्दिर एक पहाड़ी पर है और वहां तक जाने के लिए हमको तकरीबन 60-70 सीढियां चढ़नी पड़ती है हालाँकि रास्ता बढ़िया है कोई परेशानी वाली बात नहीं है रास्ते में इस मंदिर में तो बहुत सारी मूर्तियों की दुकाने पड़ती है मान के चलिए यहाँ पर भी एक मेला जैसा ही लगता है जहां तमाम तरह की दुकाने होती है कहा जाता है की अष्टभुजा माता अपने आठ भुजाओ से समस्त दिशाओ में भक्तो की रक्षा करती है |
जब आप 60-70 सीढिया चढ़कर अष्टभुजा मंदिर की तरफ आगे बढ़ेंगे तो आपको मन्दिर के प्रवेश द्वार पर भीड़ दिखाई देती है यहाँ से आपको गुफा में प्रवेश करना है और झुके झुके ही माता अष्टभुजा के दर्शन करने है इसके बाद आप गुफा से बहार निकल आयेंगे यही समीप में भैरव मन्दिर भी है आप वहां के भी दर्शन कर सकते है और अष्टभुजा मंदिर से सम्पूर्ण विन्ध्याचल का नजारा दिखाई देता है जो की अद्भुत है |
सीता कुण्ड
सीता कुण्ड नामक स्थान एक छोटी से पहाड़ी पर है जहां भगवान् राम , लक्ष्मण और सीता की मुर्तिया लगी हुई है मान्यता है की इसी स्थान पर माता सीता ने स्नान किया था वैसे तो यह एक साधारण सा जल स्त्रोत है जो की कभी सूखता नहीं है यही समीप में कई और मन्दिर है जैसे हनुमान मंदिर , माँ दुर्गा मंदिर , सीता मंदिर इत्यादि |
मात्र नवमी के दिन सीता कुण्ड पर भारी संख्या में महिलाये स्नान हेतु आती है और सौभाग्य सामग्री का दान देती है है और अपने पितरो को जल अर्पण करती है
विशेष टिप्पणी – विन्ध्याचल में लूट खसोट चरम पर है तो कृपया सावधान रहे दान दक्षिणा के नाम पर यहाँ लोगो को ठगा जाता है हम दान की निंदा नहीं करते है परन्तु किसी को भी दान के लिए बाध्य करना उचित नहीं होता है |
यहाँ पर मान्यता है कि विंध्याचल मंदिर की Maa Vindhyavasini Devi की मौजूदगी अत्यंत प्राचीन यहाँ तक की सृष्टि से पहले की है और इस का वजूद प्रलय के बाद भी रहेगा |
नवरात्र में यहाँ पर अत्यंत भीड़ हो जाती है देश के कोने कोने से लोग विंध्याचल मंदिर के दर्शन हेतु यहाँ दौड़े चले आते है यहाँ की मान्यता है की नवरात्र में माँ मन्दिर की छत पर लगे ध्वज की पताका पर निवास करती है |
इस क्षेत्र में आपको माता भगवती के त्रिगुण स्वरुप के दर्शन हो जाते है जिसे त्रिकोण यन्त्र भी कहा जाता है इसमें विंध्याचल मंदिर , अष्टभुजी मंदिर और महा काली खोह मंदिर है |
यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय नवम्बर से लेकर अप्रैल तक का ही है क्यूंकि बाकि दिनों में यहाँ बहुत गर्मी रहती है वैसे जाने को आप कभी भी जा सकते हो |
दोस्तों ये थी हमारी विंध्याचल मंदिर से सम्बंधित पोस्ट जिसमे हमने आपको विन्ध्याचल के प्रत्येक प्रसिद्ध मन्दिर के बारे में बताया है यदि आप को यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों में शेयर करे यदि आपको कोई सुझाव हो तो आप हमें मैसेज कर सकते है |
आपकी लेखनी अति उत्तम है।
साथ ही साथ आपकी अपने मातृभाषा से लगाव उसमे चार चांद लगाती है।
धन्यवाद?
बेहद धन्यवाद दीपक सर
बहुत सुन्दर लेख है आप की।
आप के द्वारा दी गई जानकारी हमारे लिए बहुत लाभप्रद साबित हुई। मैं आप ?का बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं।
जय माता दी?
Jai Mata di
But vaisno devi me nahi hai baki lagvag Hindu Mandir me hai loot khshot
ji sir
सुन्दर प्रस्तुति
dhanyvad
Jay mata ji
बहुत ही सुन्दर और सटीक जानकारी। धन्यवाद।
धन्यवाद
nice friend LOVE YOU LOT. LANGAUGE PER NA JAYE FEELINGS KO SAMAJHIYE
Thanks
Jay mata ki….bahut hi badhiya jaankari????
Thanks Sir
आपने जो लिखा कि यहां लूट खसोट ज्यादा होती है। तो मैं आपको यह बता दूं कि सब एक जैसे नहीं होते हैं कोई आपके जेब से पैसा नहीं निकालेगा। हुआ यथाशक्ति आपसे मांग कर ही लेगा और रही बात लूट खसोट की तो हर जगह हर क्षेत्र में प्रत्येक विभाग में यह होता है
जय माता की।
जी मैंने यह नहीं लिखा कि सब लोग लूट करते है यह लिखा की इधर लूट ज्यादा है तो सावधान रहे बस अपना अनुभव बताया है
Loot-khasot to hoti hai..aur vindhyanchal mandir me hr jgh hoti h
जी सर
Very good information anurag ji
Thanks Govind Sir
नमस्कार ?
बहुत सुन्दर लेख है आप की।
आप के द्वारा दी गई जानकारी हमारे लिए बहुत लाभप्रद साबित हुई। मैं आप ?का बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं।
जय माता दी?
सर आपके कमेन्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
आप ने दि हुयी जानकारी पढी.हम महाराष्ट्र से हैं.बनारस आने के विंध्यावासिनी देवी की पुजाअर्चना जरूर करेंगे. हमारे घर में विंध्यावासिनी देवी की पुजा होती हैं
सर बहुत बहुत धन्यवाद आपने हमाऋ पोस्ट पढ़ी
बहुत बहुत धन्यवाद। मेरा भी मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने का मन कर रहा है। जल्द ही जाऊँगा। आपका लेख बहुत उपयोगी साबित होगा।
आपको यात्रा की अग्रिम शुभकामनाये
महोदय
माता विंध्याचल क्षेत्र का आपने भौगोलिक ज्ञान अच्छे तरीके से समझाया है जब माता बुलाएंगी ती माता के दर्शन करने जरूर आऊंगा. ????
धन्यवाद
aap ke dwara likhe lekh me sampuran jankari hai lekh kafi acha likha hai MATARANI ke darshan karne jane par hame is lekh se madad milegi lekh likhne ke liye dhanwad Jai Maa Vindhayawashni
इतने बेहतरीन फीडबैक के लिए आपका धन्यवाद सर
“जय माँ विंध्यवासिनी, काफी अच्छी जानकारी है |.
Thanks “
धन्यवाद सर